कांकेर। जिलें के कई सरकारी स्कूलों के भवन खस्ताहाल हैं। इनमें सुविधाओं का अभाव है। दीवारों में दरारें और सीलन वाली छतों के बीच बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। गेड़गांव, सुरेवाही, ऐसेबेड़ा, बाड़ाटोला और कन्हारगांव जैसे इलाकों के कई ऐसे प्रायमरी और मिडिल स्कूल हैं जहां की छतों से पानी टपक रहा हैं। खस्ताहाल भवन में बच्चे डर कर पढ़ाई करते हैं कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। शिक्षा विभाग को इस बात की कोई चिंता नहीं है। जिससे नौनीहालों की मजबूरी है कि वो ऐसी छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
वर्षो से मरम्मत नहीं होने के कारण स्कूलों की ऐसी स्थिति हुई है। छात्रों के अभिभावक न सिर्फ स्कूलों में सुविधाओं के अभाव के चलते परेशान हैं, बल्कि भवनों की खस्ता हालत ने भी उन्हें चिंता में डाल दिया है। अंदरूनी इलाकों के स्कूल भवनों को देखकर ही उसकी हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कन्हारगांव के राजेद्र नेताम कहते है कि प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने का सामर्थ्य नहीं है। ऐसे में सरकारी स्कूल भी खस्ताहाल होंगे तो हमारे बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा। क्या प्रशासन को इस बात की चिंता नहीं है। गेड़गांव निवासी मंगतूराम कावड़े कहते है कि बच्चे यदि डरे रहेंगे और सुविधाओं की कमी से ही जूझते रहेंगे तो पढ़ाई में उनका मन कैसे लगेगा। हमने कई बार शिकायतें भी की हैं। संबंधित विभाग के कार्यालय के चक्कर काटे, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ