एक्टर Satish Kaushik की अचानक हुई मौत ने सभी को हिलाकर रख दिया था. दिल्ली में एक कार में यात्रा के दौरान उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा जिस कारण उनका निधन हो गया है. एक्टर के एक दोस्त की होली की पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें शामिल होने गए Satish को सीने में बेचैनी की शिकायत हुई. सतीश कौशिक के मैनेजर संतोष राय जो दिल्ली में उस दुर्भाग्यपूर्ण रात में उनके साथ थे, वो अब उनके अंतिम शब्दों और उनके अंतिम क्षणों को याद कर रहे हैं.

सतीश कौशिक के मैनेजर ने बताया उनके आखिरी शब्द

उस रात को याद करते हुए Satish Kaushik के प्रबंधक ने मीडिया को बताया कि वे दिल्ली के होटल में अपने कमरे में सो रहे थे, जब 12.05 बजे सतीश ने उनका नाम पुकारना शुरू किया. संतोष ने कहा कि “रात 12:05 बजे वह जोर-जोर से मेरा नाम पुकारने लगे. मैं दौड़ता हुआ आया और उससे पूछा, “क्या हुआ सर? क्यों चिल्ला रहे हो? उन्होंने मुझसे कहा, “सुनो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है. प्लीज मुझे डॉक्टर के पास ले चलो.”

कार में क्या हुआ इसके बारे में बात करते हुए संतोष ने कहा कि “जैसे ही हम गाड़ी में बैठे और थोड़ा आगे बढ़े, उनके सीने में दर्द बढ़ गया और उन्होंने कहा कि “जल्दी चलो अस्पताल. “फिर उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और कहा,” संतोष, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो. जब हम अस्पताल में दाखिल हुए वह बेहोश थे.”

एक्टिंग का समुद्र थे सतीश कौशिक

बता दें कि Satish Kaushik एक भारतीय अभिनेता, कॉमेडियन, पटकथा लेखक, निर्देशक और निर्माता थे. बॉलीवुड में अपना ब्रेक पाने से पहले उन्होंने थिएटर में काम किया था. एक फिल्म अभिनेता के रूप में सतीश कौशिक को 1987 की सुपरहीरो फिल्म, मिस्टर इंडिया में कैलेंडर के रूप में, दीवाना मस्ताना (1997) में पप्पू पेजर के रूप में और सारा द्वारा निर्देशित ब्रिटिश फिल्म ब्रिक लेन (2007) में चानू अहमद के रूप में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता था. सतीश कौशिक ने 1990 में राम लखन के लिए और 1997 में साजन चले ससुराल के लिए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता.