सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना का विधान है. माना जाता है कि इस महीने में जो उनकी पूजा करता है, भगवान शिव उससे बहुत खुश रहते हैं. इसलिए सावन के महीने में करोड़ों शिव भक्त पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान शिव पर चढ़ाते हैं. यूं तो हिंदू धर्म में सभी बारहों महीनों का अपना धार्मिक महत्व है. लेकिन जब इन सभी महीनों में सबसे ज्यादा महत्व वाले महीने की बात आती है तो निःसंदेह चैत्र से शुरू होने वाले साल का यह पांचवां महीना अर्थात सावन का महीना होता है. सावन माह को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक महीना माना जाता है. धार्मिक जीवन जीने. वालों के लिहाज से यह महीना विशेष होता है. इसके इस विशेष महत्व के पीछे कई धार्मिक पौराणिक कहानियां भी प्रचलित हैं.

कहा जाता है इस हलाहल को पीने से ही भगवान शिव नीलवर्ण हो गये. वास्तव में इस विष में इतनी ज्यादा गर्मी थी कि उनका पूरा शरीर किसी ज्वालामुखी की तरह दहकने लगा, तब भगवान शिव के इस ताप को कम करने के लिए देवताओं ने उन पर फल और दूध की बारिश की और इंद्र ने उन पर मूसलाधार जलवृष्टि की, तब कहीं जाकर भगवान शिव के दहकते शरीर का कुछ ताप कम हुआ. शिव ने इस हलाहल विष की ऊष्मा से ही सृष्टि का निर्माण किया. इसके अलावा भी और बहुत सी कहानियां हैं, जो इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि सावन का महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है.

सावन के महीने में कुंवारी लड़कियां भी पूरे महीने व्रत रखती हैं तथा सोमवार के दिन विशेष तौरपर भगवान शिव की पूजा करके मनचाहे वर का वरदान हासिल करती हैं. लेकिन सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं प्रकृति के नजरिये से भी इस महीने का बहुत महत्व है, क्योंकि यह महीना प्रेम और प्रजनन का महीना है. ज्यादातर स्तनधारी इस महीने गभार्धान की प्रक्रिया सम्पन्न करते हैं. इसी तरह मछलियां और पानी के तमाम दूसरे जीवों के लिए भी इस महीने में गर्भधारण का अनुकूल समय होता है. चूंकि इस महीने में कीड़ों-मकोड़ों की तादाद बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जिस कारण स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह महीना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि कई स्वास्थ्य संबंधी सर्तकताएं इस महीने में बरती जाती हैं, वरना हमें बीमार पड़ते देर नहीं लगती.

यही कारण है कि सावन के महीने में मांसाहार पूरी तरह से वर्जित होता है. क्योंकि इस महीने में मांस खाने से कई किस्म की बीमारियां और संक्रमण होने की आशंका रहती है. जहां तक साधु संतों के जीवन में इस महीने के महत्व की बात है तो इस माह में भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इसलिए यह समय एक तरह से चार महीनों का वैदिक यज्ञ है, इसे पौराणिक व्रत या सबसे सरल शब्दों में चैमासा भी कहते हैं.


माना जाता है कि भगवान शिव का यह सबसे प्रिय महीना इसलिए भी है; क्योंकि इस महीने ही वह पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गये थे, जहां उनका स्वागत अध्यं और जलाभिषेक से किया गया था. इस तरह धार्मिक नजर से देखें तो यह महीना भगवान शिव की कृपा पाने का महीना है.