नई दिल्ली। इस समय भारत की गिनती भले ही दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में होती है, लेकिन 2050 तक देश में आबादी घटने लगेगी. इसकी वजह है देश में अब ‘हम दो हमारे दो’ का प्रचलन तेजी से कम हो रहा है. लोग एक ही बच्चा चाहते हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल प्रजनन दर या प्रति महिला जन्म दर 2050 में घटकर 1.3 हो जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुल जन्मदर 1950 में 6.18 थी, जो 1980 में घटकर 4.6 पर आ गई थी. यही नहीं 2021 में यह तेजी से घटते हुए 1.91 पर ही आकर ठहर गई. यह रिप्लेसमेंट लेवल से भी कम है.

जनसंख्या विज्ञानी मानते हैं कि रिप्लेसमेंट लेवल के लिए जन्मदर कम से कम 2.1 होनी चाहिए. ऐसे में यह बड़े संकट की आहट भी है. अनुमान है कि 2050 तक भारत में जन्मदर 1.29 ही रह जाएगी. इससे आबादी एकदम से कम नहीं होगी, लेकिन उसमें युवाओं का अनुपात कम होता जाएगा. फिर 2100 तक यह संकट और गहरा जाएगा.

यदि यह रिपोर्ट सही साबित होती है तो फिर आने वाले दशकों में देश के आगे बड़ी चुनौती होगी. जन्मदर में तेजी से कमी आएगी तो वर्कफोर्स में भी कमी की स्थिति होगी और अर्थव्यवस्था को इससे झटका लगेगा. इसके अलावा युवाओं से अधिक आबादी बुजुर्गों की हो जाएगी, जिनकी देखभाल करना भी एक चैलेंज होगा.