रायपुर। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं. सोमवार को रायपुर के प्रेस क्लब में प्रदेश भर के पत्रकार इकट्ठा हुए. पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाने वाले पत्रकारों को गोली मारने का फरमान जारी करने वाले ऑडियो की जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रेस क्लब से राज भवन तक पैदल मार्च किया.
दरअसल  पिछले दिनों एक ऑडियो टेप बस्तर के पत्रकारों के हाथ लगा. जिसमें पुलिस द्वारा वॉकी टॉकी के ज़रिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कवरेज करने जाने वाले पत्रकारों को गोली मारने का फरमान जारी करने की बात कही गई थी.  हालांकि इस ऑडियो को काफी पुराना बताया जा रहा है.
सवाल यही उठता है कि यदि ऑडियो काफी पुराना है तो अब तक जांच क्यों नही हुई. और क्यों दोषियों पर कार्रवाई नही की गई ? इस बात को लेकर प्रदेश भर के पत्रकारों में काफी रोष है.
यही नहीं पहले तो पत्रकारों के एक डेलिगेशन को राज भवन तक जाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन  पत्रकारों ने शांति रैली निकाली तो पुलिस द्वारा पत्रकारों को बीच रास्ते पर ही रोक दिया गया. हालांकि पत्रकारों के मांग पत्र को राज भवन से आए अधिकारियों ने राज्यपाल तक पहुंचाने का आश्वासन दिया है.
देखना होगा कि देशभर में लगातार हो रहे पत्रकारों पर हमले और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पत्रकारों को गोली मारने के लिए जारी फरमान की जांच को लेकर सरकार कितनी सजग है और मामले को कितनी गंभीरता से लेती है.