रायपुर. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के नक्सल हिंसा पीड़ित आदिवासी बहुल दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले में जैविक खेती के जरिए हो रही हरित क्रांति के लिए वहां के किसानों की तारीफ की है. उन्होंने आज कहा-यह नक्सलवाद का एक शांतिपूर्ण  जवाब है कि हिंसा नहीं बल्कि हरित क्रांति से ही समाज में एक सकारात्मक बदलाव के साथ खुशहाली आएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा- दंतेवाड़ा जिले का ‘आदिम‘ ब्राण्ड चावल अब पूरे देश में प्रसिद्ध हो रहा है. इसकी प्रसिद्धि बेंगलुरू और चेन्नई तक भी पहुंच गई है. दंतेवाड़ा जिले के किसानों ने ‘भूमगादी‘ नामक कम्पनी बनायी है और जैविक खेती करने वाले किसानों के स्वसहायता समूहों को इससे जोड़ा है. अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा किसान शेयर होल्डर के रूप में ‘भूमगादी‘ कम्पनी से जुड़ गए है. निकट भविष्य में इनकी संख्या तीन हजार तक पहुंच जायेगी.

किसानों द्वारा जैविक खेती के जरिए उत्पादित चावल को ‘आदिम‘ ब्राण्ड के नाम से बाजार में लाया गया है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर खुशी जतायी की ‘भूमगादी‘ किसान संगठन ने स्वयं के मिनी राइस मिल की भी स्थापना की है, जहां जैविक खेती के धान से चावल बनाया जा रहा है. पिछले साल उनकी इस राइस मिल को स्वसहायता समूह के किसानों ने 2000 क्ंिवटल धान बेचा. किसानों ने इसके एवज में अपनी कम्पनी ‘भूमगादी‘ से लगभग 50 लाख रूपए का डिजिटल भुगतान भी प्राप्त किया.

डॉ. रमन सिंह ने कहा- दंतेवाड़ा जिले के किसान जैविक खेती करते हुए धान के साथ-साथ दाल, कोदो और कोसरा जैसी उपज भी पैदा कर रहे हैं. देश के महानगरों में इन कृषि उपजों की भारी मांग हो रही है. वहां का ‘आदिम‘ ब्राण्ड चावल न सिर्फ दंतेवाड़ा बल्कि सम्पूर्ण बस्तर संभाग की पहचान बन गया है. डॉ. रमन सिंह ने कहा- नक्सल हिंसा पीड़ित दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले में किसानों की मेहनत से अब हरित क्रांति का सपना तेजी से साकार हो रहा है. इसके फलस्वरूप उस जिले में नक्सलवाद का प्रभाव भी समाप्त होता जा रहा है. वहां के किसान, ग्रामीण, युवा और विद्यार्थी अपने सुनहरे भविष्य के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी तरक्की का रास्ता स्वयं बना रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले इस महीने की पंद्रह तारीख को छत्तीसगढ़ विधान सभा में अपनी सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट पर सदन में हुई सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए दंतेवाड़ा जिले में हो रही जैविक खेती और वहां के किसानों द्वारा बनाये गये ‘भूमगादी‘ संगठन के माध्यम से तैयार किए जा रहे ‘आदिम ब्राण्ड‘ चावल का भी उल्लेख किया था. उन्होंने कहा कि बस्तर अंचल में स्वसहायता समूहों के माध्यम से कड़कनाथ मुर्गे का व्यवसाय भी काफी चलने लगा है. इससे किसानों और ग्रामीणों को अतिरिक्त आमदनी का एक बेहतर जरिया मिला है. बस्तर में नगरनार के इस्पात संयंत्र का निर्माण भी तेजी से पूर्ण हो रहा है. अब वहां नगरनार का स्टील प्लांट भी चलेगा और ‘आदिम‘ ब्राण्ड चावल भी खूब चलेगा.