अमेठी. कौन कहता है आसमान में सुराग हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो… अगर कुछ करने का जुनून हो तो असम्भव कुछ नहीं होता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जनपद अमेठी के सरकारी स्कूल की एक प्रिंसिपल ममता सिंह ने. अक्सर लोग सरकारी स्कूलों प्रति गलत सोच रखते हैं. यह उम्मीद लगाते हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं होती है.

संख्या बहुत कम और छात्र भी कमजोर होते है. लेकिन जनपद के विकास खंड भादर के नरायनपुर जूनियर स्कूल जहां पर प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा संख्या में छात्र और छात्राएं है. इतना ही नहीं, कान्वेंट स्कूलों से ज्यादा व्यवस्था है. बड़ी बात तो ये है कि ये सब स्कूल की प्राधानाध्यापिका ममता सिंह ने अपनी मेहनत और लगन से इस सरकारी जूनियर स्कूल को एक नए कलेवर में तैयार किया है.

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बताया जा रहा है कि पहले इस स्कूल में बच्चों की संख्या इकाई में होती थी. वहीं आज इस विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. अब सरकारी विद्यालय का हाल यह है कि यह विद्यालय आस पास के गांव के कई प्राइवेट स्कूलों को यह विद्यालय टक्कर दे रहा है. जिससे बच्चे प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर यहां दाखिला ले रहे हैं.

स्कूल में बच्चों को तकनीकी ज्ञान के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं दी जाती है. स्कूल में ही बच्चों को प्रिंसिपल के द्वारा अलग से छुट्टियों के दिनों में क्लास दी जाती है. इस विद्यालय में जहां डिजिटल क्लास की व्यवस्था है तो लाइब्रेरी की भी व्यवस्था है. इस लाइब्रेरी से बच्चों को तो लाभ मिल ही रहा है तो गांव के किताबों के पढ़ने के शौकीन युवा और बुजुर्गों को किताब पढ़ने को निःशुल्क में दी जाती है.

वहीं बच्चे विद्यालय और अपने प्राधानाध्यापिका की जमकर सराहना कर रहे है. स्कूल की प्रिंसिपल ममता ने बताया कि मैंने जब 2010 में विद्यालय में जॉइन किया था तो यहां बडे़ बड़े गड्ढे हुए थे. विद्यालय तक आने के लिए कोई भी रास्ता नहीं था. बरसात के दिनों में पानी भर जाता था. लेकिन आज लोगों के सहयोग से ऐसी समस्या को लगभग दूर कर दिया गया है.

ममता ने बताया कि विद्यालय के सभी बच्चों को एक कॉन्वेंट विद्यालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध है. बच्चों के लिये क्लास मे जहाँ बैठने के लिये कान्वेंट स्कूलों जैसी ब्यास्था है और खेलकूद के सामान की व्यवस्था की. विद्यालय में सबसे अधिक उपस्थिति रहने वाले बच्चों को माह के अंतिम दिन सम्मानित भी किया जाता है. इतना ही नहीं टीवी लगाकर स्मार्ट क्लास से बच्चों की पढ़ाई कराई जाती है. स्कूल में ब्लैक बोर्ड की जगह व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से पढ़ाई हो रही है.

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