रायपुर। प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन मामले में माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा 22 नवम्बर को दिए गए निर्णय के अनुसार राज्य सरकार, सहकारी संस्थाओं का पुनर्गठन लोकहित में करने के लिए सक्षम है. उच्च न्यायालय के इस निर्णय से सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन की प्रकिया जारी रखी जा सकेगी.

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने 22 नवम्बर को दिए गए निर्णय में पुनर्गठन से प्रभावित सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल (बोर्ड) को भंग करने के राज्य सरकार के निर्णय को निरस्त कर दिया था. लेकिन उच्च न्यायालय ने सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन को लोक हित में आवश्यक माना है. उच्च न्यायालय का यह निर्णय भी राज्य सरकार के लिए उत्साह जनक है जिसमें उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि पुनर्गठन से प्रभावित हो रही सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल का कार्यकाल शेष रहते हुए भी राज्य सरकार उसे समाप्त कर सकती है. उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि सहकारी संस्थाओं के पुनर्गठन की कार्यवाही अनेक वर्षों से प्रचलित थी जो पूर्ण नहीं हो सकी थी अतः वर्तमान में पुनर्गठन लोक हित में आवश्यक है.

राज्य सरकार के द्वारा अधिसूचित पुनर्गठन स्कीम में हस्तक्षेप करने से माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इनकार कर दिया गया. उच्च न्यायालय ने पुनर्गठन स्कीम की केवल उस कंडिका को उचित नहीं माना जिसके अनुसार पुनर्गठन से प्रभावित सहकारी संस्थाओं के संचालक मंडल के पदाधिकारियों के पद रिक्त हो जाते.