लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में भोपाल लोकसभा सीट से साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारे जाने से बीजेपी नेत्री फातिमा सिद्दिकी हुई बागी.
भोपाल. साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर बीजेपी में सबसे बड़ी बगावत निकल सामने आयी है. पिछले साल नवंबर में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश में भाजपा की एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार रहीं फातिमा रसूल सिद्दिकी ने भोपाल लोकसभा सीट से पार्टी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के कट्टर हिन्दुत्व एजेंडे को लेकर उनसे दूरी बना ली है. वो पार्टी के इस फैसले से इतना नाराज हैं कि सीधे तौर पर बोल रही है. मोदी तुझसे बैर नहीं. साध्वी तेरी खैर नहीं.
पिछले विधानसभा चुनाव में फातिमा को बीजेपी ने भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के आरिफ अकील से चुनाव लड़ाया था जब वो हार गई थीं. यह सीट कांग्रेस के मजबूत गढ में से एक मानी जाती है. फातिमा के इस बयान से बीजेपी के सामने अल्पसंख्यक वोटों को साधने की चुनौती पैदा हो गई है.
कौन है फातिमा सिद्दीकी
फातिमा कांग्रेस के पूर्व विधायक रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी हैं. रसूल अहमद सिद्दीकी 90 के दशक में भोपाल उत्तर सीट से 2 बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं. 1992 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर आरिफ अकील ने कांग्रेस के रसूल अहमद सिद्दीकी को मात देकर इस सीट पर कब्जा जमाया था. हालांकि, बाद में आरिफ अकील कांग्रेस में शामिल हो गए. बीजपी ने अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर फातिमा को विधानसभा चुनाव में प्रोजेक्ट किया था. फातिमा (35) डेन्टिस्ट की पढ़ाई कर रहीं फातिमा राजनीति में कुछ समय पहले ही आई हैं. फातिमा के पक्ष में अच्छी संख्या में मुस्लिम महिलाओं के प्रचार में शामिल होने के बावजूद वह यह चुनाव अकील से 34,857 मतों के अंतर से हार गयी थीं.
हिन्दू मुस्लिम की राजनीति नहीं
भोपाल में करीब 4 लाख मुस्लिम वोटर हैं. यही कारण है कि बीजेपी को फातिमा की जरूरत महसूस हुई. ऐन चुनाव के पहले साध्वी के मैदान में उतरने पर उन्होंने हाथ खींच लिए. उन्होंने साफ कर दिया कि वह हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने नहीं आयी हैं. शहर की गंगा जमुनी तहजीब है राजनीति में करने के लिए बहुत कुछ है.
शिवराज को देख बीजेपी से जुड़ी
बीजेपी नेता फातिमा की मानें तो वह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को देख बीजेपी से जुडीं. प्रदेश के अलपसंख्यकों में भी चौहान के प्रति लोगों में उम्मीद है. उन्हें पसंद किया जाता है. लेकिन जिस तरह का उम्मीदवार दिया है वो यहां चुनाव नहीं जीतेगा. मैंने पार्टी के नेताओं को अपनी राय बता दी थी. यही नहीं उन्होंने कहा कि मेरा बीजेपी छोड़ने का कोई मन नहीं है ना ही बीजेपी को छोड़कर किसी दूसरे दल में जाने वाली हूं.