निशा मसीह, रायगढ़. जेएमजे मॉर्निंग स्टार अस्पताल में एक नवजात बच्चे की अचानक मौत के बाद लाश को बंधक बनाए जाने का मामला सामने आया है. इसकी जानकारी मृतक के परिजनों ने मीडिया को दी. जिसके बाद कुछ मीडियाकर्मी मामले की जानकारी लेने अस्पताल पहुंच गये. लेकिन यहां पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा मामले की जानकारी न देते हुए उल्टा मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी शुरू कर दी. इस बीच काफी देर तक अस्पताल में हंगामा होता रहा, बाद में दवाब बनता देख अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे का शव उसके परिजनों को सौंप दिया.
इस दौरान डॉ मल्लिक का कहना था कि “पैसे के लिए बच्चे के शव को नहीं रोका गया है बल्कि कुछ गलत फहमी हो गई जिसके कारण शव नहीं दिया गया था”.
बताया जा रहा है कि इस निजी चिकित्सालय में बरमकेला क्षेत्र से एक प्रसूता टांका के पकने की समस्या होने होने के बाद दोबारा 15 दिन के बच्चे के साथ अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उस प्रसूता को उपचार के लिए भर्ती कर लिया. इसी बीच प्रसूता का बच्चा अचानक रोने लगा. जिसके के बाद अस्पताल में मौजूद डॉक्टर बच्चे को प्रसूता के पास से ले गये और उसका इलाज शुरू कर दिया. और कुछ देर बार ही अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने परिजनों को बच्चे की मौत की जानकारी दी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे की मौत किस कारण से हुई है इस बात की जानकारी नहीं दी.
बच्चे की मौत की खबर सुनते ही परिजनों के होश उड़ गये. क्योंकि जब बच्चा अस्पताल आया था वह पूरी तरह से स्वास्थ्य था. उसे कोई बीमारी नहीं. लेकिन कुछ ही मिनटों में ऐसा क्या हुआ कि बच्चे की मौत हो गई. इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा बच्चे की मौत के बाद परिजनों को उसका शव तब तक देने से इंकार कर लिया जब कि की बच्चे के इलाज का पैसा उनके द्वारा जमा नहीं किया जाता. और करीब 24 घंटे तक बच्चे के शव को अस्पताल प्रबंधन द्वारा बंधक बनाकर रखा गया.
परिजन संजय पटेल का आरोप है कि “इस मामले में अस्पताल प्रबंधन बच्चे की मां का इलाज कर रहा था और उसकी फीस करीब 25 हजार मांगी गई, लेकिन 25 हजार की रकम का हिसाब मांगा गया तो अस्पताल प्रबंधन ने आनाकानी की और उसके बाद बच्चे की मौत होने पर लाश भी नहीं दी”.
इस बात की जानकारी जब मीडिया को लगी तब कवरेज से रोकते हुए अस्पताल की नर्सों ने काफी हंगामा मचाया, लेकिन बाद में प्रबंधन ने स्थिति को और अधिक बढ़ते देख बच्चे की शव को परिजनों को देने की बात कही और अपनी सफाई में केवल इतना ही कहा कि मामले में लेन देन संबंधी बात नहीं है. कुछ गलत फहमियों के चलते ऐसा हुआ है.
बहरहाल इस अस्पताल में यह तीसरा मामला है जब मरीज की मौत के बाद अनाफ-शनाफ बिल देने के बाद शव को बंधक बनाया गया है.