रायपुर- जल जीवन मिशन में हुई गड़बड़ी की शिकायत के बाद राज्य सरकार ने टेंडर रद्द कर दिया, बावजूद इसके यह सरकार के गले की फांस बन गई है. बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ.रमन सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी के बाद अब सरकार पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का दबाव भी शुरू हो गया है. बताते हैं कि इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद मुख्य सचिव आर पी मंडल की अगुवाई वाली कमेटी की जांच रिपोर्ट जल्द आ जाएगी. आधिकारिक सूत्रों की माने तो टेंडर प्रक्रिया में एक-दो बड़े अधिकारियों पर सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट में टेंडर प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा की जाएगी.

जल जीवन मिशन का टेंडर एक बड़े घोटाले में तब्दील होता इससे पहले सरकार ने इसे भांपते हुए पूरे टेंडर प्रोसेस को ही निरस्त कर दिया. दरअसल कांग्रेस पार्टी के भीतर ही बड़े नेताओं ने इस गड़बड़ी की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की थी. उन्हें यह जानकारी दी गई थी कि आखिर कैसे राज्य के ठेकेदारों के नजरअंदाज कर ठेकों की बंदरबांट चल रही है. जो पात्र नहीं हैं, उन्हें भी कई-कई करोड़ के ठेके आंबिटत किए जा रहे हैं. इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव आर पी मंडल की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने जांच में टेंडर प्रक्रिया की बारिकी से पड़ताल की है. बताते हैं कि कमेटी ने टेंडर शर्तों से लेकर टेंडर अलाॅट किए जाने तक की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी पकड़ी है. इन्हीं गड़बड़ियों के आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिराने की तैयारी है.

बता दें कि करीब सात हजार करोड़ रूपए के टेंडर में अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर शर्तों को काफी लचीला बना दिया गया था. केंद्र सरकार की गाइडलाइन को ताक पर रखकर टेंडर का खुला खेल खेला गया. ऐसे नियम बने कि यदि किसी कंपनी के पास अनुभव नहीं है तो वे लोग भी ज्वाइंट वेंचर कर टेंडर में हिस्सा ले सकते हैं. इन बाहरी कंपनियों को उनके टर्नओवर पर रेट कांट्रेक्ट पर ही काम दिया गया. इस छूट का फायदा महाराष्ट्र, गुजरात ,तेलंगाना की कंपनियों को मिला. मैदानी इलाकों के काम बाहरी कंपनियों को दिया गया. इनमें पटेल इंजीनियरिंग मुंबई, लक्ष्मी इंजीनियरिंग कोल्हापुर, गाजा इंजीनियरिंग तेलंगाना,सुधाकर इंफोटेक हैदराबाद, एनएसटीआई कंस्ट्रक्शन कंपनी हैदराबाद, पीआर प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्टर दिल्ली प्रमुख हैं. पीएचई में ए-श्रेणी के ठेकेदारों के लिए काम की असीमित पात्रता है, बी-श्रेणी वालों के लिए 10 करोड़, सी-श्रेणी वालों के लिए 2 करोड़ और डी-श्रेणी वालों के लिए एक करोड़ की पात्रता निर्धारित है, लेकिन डी-श्रेणी के ठेकेदारों को भी 4 से 10 करोड़ रुपए तक का काम दे दिया गया.

विपक्ष ने इस मामले में बड़े पैमाने का भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर जल जीवन मिशन में हुई कथित गड़बड़ियों की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने का आग्रह किया था. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि जल जीवन मिशन का टेंडर निरस्त करने के पीछे सच्चाई यह है कि इस पूरे मामले की लीपापोती करना. यह कमीशन के खेल का झगड़ा है. हमने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. छत्तीसगढ़ की सेवा करने का वादा कर सत्ता में आई सरकार को शर्म नहीं आ रही. केंद्रीय मद की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है.