प्रमोद निर्मल, मानपुर(राजनांदगाव). इलाके का एक और स्कूल लापरवाह प्रशासनिक व्यवस्था के चलते तालाबंदी की भेंट चढ़ गया. मामला मानपुर विकाशखण्ड अंतर्गत औंधी इलाके के ग्राम अरजगुबला की प्राथमिक शाला का हैं. यहां के ग्रामीण ने स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की लापरवाही से इस कदर आक्रोशित हुए कि उन्होंने बच्चों को मध्यान भोजन कराके उन्हें स्कूल से बाहर निकाला और फिर स्कूल में अनिश्चित काल के लिए ताला जड़ दिया. दो हफ्ते के भीतर इलाके का ये दूसरा स्कूल है खराब शिक्षकीय व्यवस्था के चलते तालाबंदी की नौबत आई है.

ग्रामीण पहुंचे स्कूल, मास्टर मिले नदारत, जड़ दिया ताला

दरअसल आज मंगलवार को क्षेत्र के जागरूक नौजवानो, ग्रामीणों व पालकों ने स्कूल का निरीक्षण किया तो स्कूल में पदस्थ दो शिक्षक में से एक भी शाला में उपस्थित नहीं था. ग्रामीणों के मुताबिक उक्त दोनों शिक्षक अक्सर स्कूल से लंबे लंबे समय तक नदारत रहते हैं. इसकी जानकारी को देते हुए उन्हें नियमित शाला आने को कहा जा चुका है फिर भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ. यही वजह है कि आज जब ग्रामीणों ने फिर से दोनों शिक्षकों को स्कूल से नदारत पाया तो ग्रामीणों-पालकों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने स्कूल में ताला जड़ कर शाला संचालन पर ही ब्रेक लगा दिया.

ज्यादातर रसोइयों के भरोसे ही चलती है शाला

ग्रामीणों के मुताबिक महीने में कई-कई दिनों तक एक साथ नदारत रहते हैं. ज्यादातर अध्यापन ढप्प ही रहता है. ऐसे में स्कूल के रसोइया, भृत्य स्कूल खोलते हैं. बच्चे बिना मास्टर के स्कूल में खेलते कूदते समय काटते हैं और फिर रसोइया के भरोसे मध्यान भोजन कर वापस लौट जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक ऐसी नौबत महीने में कई मर्तबा आती है. ग्रामीण अपने बच्चों को ऐसी पंगु शिक्षा व्यवस्था के भरोसे स्कूल जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंतित तो हैं ही ग्रामीण व्यवस्था की लचरता को लेकर प्रशासन के प्रति खासे आक्रोशित भी हैं.

करीब 50 बच्चों का भविष्य अधर में, अफसर मौन

ग्रामीणों के मुताबिक उक्त प्राथमिक शाला में एक से पांच तक की कक्षाओं में करीब करीब कुल 50 बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षकों के ज्यादातर स्कूल से नदारत रहने से इन बच्चों की अध्यापन व्यवस्था पूरी तरह स चरमराई हुई है. नियमित अध्यापन के अभाव में यहाँ अध्ययनरत बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. दूसरी तरफ आम तौर पर इलाके का नियमित दौरा करने और आदिवासी शिक्षा के उन्नयन के दावे करने वाला स्थानीय प्रसासनिक अमला सब कुछ जानकर भी मौन साधे हुए है. ऐसा लगता है मानो आला अफसरों और प्रसासनिक अमले को यहाँ के नौनिहालों और उनके भविष्य से कोई सरोकार नहीं है.

सक्षम अधिकारी आएंगे गांव तब खोलेंगे ताला

ग्रामीणों ने ताला जड़ने के बाद अपना रुख साफ तौर पर बयान कर दिया है. ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने तालाबंदी और सम्पूर्ण व्यवस्था की सूचना ब्लॉक के संबंधित अफसरों को दे दी है. जब तक कोई सक्षम अधिकारी गाँव पहुंचकर उनकी समस्या का जरूरी निदान सुनिश्चित नहीं करते तब तक वे स्कूल का ताला नहीं खोलेंगे और बच्चों को स्कूल भी नहीं भेजेंगे. समाचार लिखे जाने तक कोई भी अफसर उक्त शाला तक नहीं पहुंच पाया था. वही स्कूल ताले की कैद में है.

शिक्षकीय समस्या से जूझ रहे हैं अधिकांश स्कूल

मॉनपुर विकासखण्ड में ये कोई पहला स्कूल नहीं है जो ऐसी समस्या से गुजर रहे हैं. इलाके में कई ऐसे स्कूल है जो शिक्षकीय समस्या से वर्षो से जूझ रहे हैं. कोई स्कूल पड़ोस के स्कूल से बुलाए गए उधारी के मास्टर के भरोसे चल रही है तो कोई इक्के-दुक्के या अकेले मास्टर के भरोसे कहीं मास्टर है तो उसके नियमित स्कूल नहीं जाने से अध्यापन प्रभावित होती है. मास्टरों को मनमाने तरीके से अफसरों ने यहाँ वहाँ अटैच कर रखा है. कुल मिलाकर इलाके में शिक्षा व्यवस्था का कबाड़ा हो चुका है. वहीं इलाके के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

ताला जड़ता है तब आता है प्रशासन को होश

बता दें कि इससे दो हफ्ते पहले ही ग्राम कारेकट्टा के ग्रामीणोंने माध्यमिक शाला में ताला जड़कर सीधे बच्चों समेत ब्लॉक मुख्यालय पहुंचकर जनपद पंचायत सीईओ को चाबी थमा दी थी. तब प्रशासन को ग्रामीण आक्रोश के मद्देनजर तत्काल इलाके के तीन शिक्षित बेरोजगारों की खनिज मद से उक्त स्कूल में नियुक्ति करनी पड़ी थी. तब जाकर कारेकट्टा स्कूल दोबारा खुल सकी थी. ऐसा नहीं है कि जवाबदार अफसर बदहाल व्यवस्था से अनजान है. अधिकांश बदईंतिजामी तो यहाँ के अफसरों के मनमानी की ही परिणति है. बावजूद इसके अफसर व्यवस्था सुधारने में जरा भी गंभीर नहीं है. जब तालाबंदी या अन्य आंदोलन सामने आता है तब इन्हें होश आता है. आनन फानन में समस्या का वैकल्पिक निदान कर फिर से प्रशासनिक व्यवस्था मनमानी के आगोश में चली जाती है.