ललित सिंह,राजनादगांव. जिले में सिस्टम की लापरवाही ने एक जिंदा इंसान को सरकारी दस्तावेजों में जीते जी मार दिया है. सचिव की लापरवाही की वजह से 71 वर्षीय बुजुर्ग की पेंशन यह कहकर रोक दी गई है कि अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, जिसके कारण बुजुर्ग को 8 महीने से दर-दर की ठोकरे खाना पड़ रहा है. बुजुर्ग पेंशन पाने के लिए सरकारी दफ्तारों के चक्कर काटने पर मजबूर है.
बता दें कि जिले के अंबागढ़ चौकी में सिस्टम की लापरवाही सामने आई है. जहां सचिव भीमराव अंबादे की लापरवाही की वजह से ग्राम पंचायत चिखली के 71 वर्षीय बुजुर्ग गैंदुराम साहू को मृत बताकर उनकी पेंशन रोक दी गई है. बुजुर्ग को 8 महीने से पेंशन नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते गैंदुराम को सरकारी दफ्तारों के चक्कर काटने पड़ रहा है.
जानकारी के अनुसार वृद्ध गैंदुराम ने जनपद के संबंधित अधिकारी को अर्जी देकर पेंशन की सूची में फिर से नाम जोड़कर पेंशन चालू करने की गुहार लगाई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने सचिव को बचाने के लिए फिर से नए तरीके से आवेदन ऑनलाइन कर नाम जोड़ दिया. वहीं सचिव से हितग्राही को 3 महीने का पेंशन नगद दिलवाकर मामले से हाथ खींच लिया.
गैंदुराम ने बताया कि सरकारी दस्तावेजों में सचिव ने मुझे मरा बताकर पेंशन रोक दिया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें 2014 से लगातार पेंशन मिल रही है. 2021 के जून माह से पेंशन रोक दी गई. सचिव पर कार्रवाई करने की मांग की है.
वृद्ध की पत्नी ने बताया कि इस तरह से एक जिंदा आदमी को मरा बताकर पेंशन रोकना काफी गलत है. साख ही यह भी बताया कि पेंशन नहीं मिलने की वजह से वह अपना इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं. हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द पेंशन चालू कराया जाए, ताकि किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
सचिव की लापरवाही के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर जिंदा आदमी को मरा कैसे बताया गया. साथ ही जनपद अधिकारियों ने सचिव की लापरवाही को देखते हुए भी नजर अंदाज किया. ऐसे में आगे इस तरह की घटना न हो इसका ध्यान रखते हुए मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.
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