इस्लाम और पैगम्बर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी मामले में गिरफ्तार हुई पुणे की 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की जमानत याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने पनोली को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। पनोली की तरफ से पेश हुए वकील ने उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है। बात दें कि, शर्मिष्ठा ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मुस्लिम वर्ग के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद उनके खिलाफ कलकत्ता में धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई गई।

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कोर्ट ने क्या कहा ?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने आपत्तिजनक वीडियो मामले में शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही कोर्ट ने राज्य को अगली सुनवाई में केस डायरी दाखिल करने का निर्देश दिया। शर्मिष्ठा पनोली को राहत नहीं देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा, ‘हमारे देश के एक वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। हमें बोलने की आजादी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है। हमें सावधान रहना चाहिए, इसलिए परसों…आसमान नहीं गिरेगा’

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किस लिए गिरफ्तार हुईं है शर्मिष्ठा ?

कोलकाता पुलिस ने शुक्रवार रात हरियाणा के गुरुग्राम से शर्मिष्ठा पनोली को सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला एक वीडियो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वीडियो में कहा गया था कि बॉलीवुड कलाकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चुप हैं। शनिवार को कोलकाता की एक अदालत ने पनोली को 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

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‘क्या यह मानवाधिकार है ?’ – जेल में सुविधओं को लेकर शर्मिष्ठा के वकील

सुनवाई के बाद कोर्ट में पनोली को मिलने वाली सुविधाओं का भी जिक्र आया। कोर्ट ने राज्य को बयान रिकॉर्ड किए कि पनोली को भी वो सभी सुविधाएं दी जा रही हैं, जो अन्य कैदियों को मिलती हैं। इसपर एडवोकेट सिंह बोले, ‘क्या यह मानवाधिकार है। मैं हैरान हूं।’ कोर्ट ने सिंह से कहा, ‘अपनी एनर्जी दूसरे केस के लिए बचाकर रखें।’ कोर्ट ने कहा, ‘एक आतंकवादी को भी इसका अधिकार होता है…।’

सिंह ने कहा कि शिकायत में कोई भी अपराध का जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘FIR में कुछ नहीं हैं।’ साथ ही सिंह ने FIR रद्द किए जाने, गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित किए जाने और जमानत की मांग की।

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जेल में मिल रही धमकियां

इन्फ्लुएंसर के वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने सोमवार को यहां अलीपुर अदालत में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनकी मुवक्किल को जेल में बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है तथा अन्य कैदियों से उसे धमकी मिल रही है। वकील समीमुद्दीन ने बताया कि अदालत ने इस संबंध में चार जून तक रिपोर्ट मांगी है।

समीमुद्दीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘अलीपुर महिला सुधार गृह के अंदर उचित साफ-सफाई नहीं रखी जाती। मेरी मुवक्किल को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। उसे गुर्दे से जुड़ी समस्या है और वह ठीक महसूस नहीं कर रही है। हमने एक याचिका दायर की है और अदालत ने चार जून तक रिपोर्ट मांगी है।’ याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उसे जेल के अंदर अन्य कैदियों से कई तरह की धमकियां मिल रही हैं, जिससे उसे अपनी सुरक्षा को लेकर डर है।

समीमुद्दीन ने कहा, ‘ये धमकियां एक असुरक्षित वातावरण पैदा कर रही हैं, जिससे उसकी मानसिक शांति और शारीरिक सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ रहा है।’

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भाजपा ने की आलोचना

इससे पहले भाजपा ने रविवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को लेकर निशाना साधा और तृणमूल कांग्रेस सरकार पर अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए “युवा हिंदू महिला” को निशाना बनाने का आरोप लगाया। पनोली की गिरफ्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पश्चिम बंगाल में भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने तृणमूल सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति के तहत कानून को “चुनिंदा तरीके से लागू करने” का आरोप लगाया।

शर्मिष्ठा की शिकायत करने वाले के खिलाफ असम सरकार लेगी एक्शन

वहीं मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने को बताया कि देवी कामाख्या सहित कई हिंदू देवी-देवताओं का कथित रूप से अपमान करने को लेकर व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने बताया कि यह मामला कोलकाता के वजाहत खान कादरी रशीदी के खिलाफ दर्ज किया गया है। उसने लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कथित तौर पर इस्लाम का अपमान करने और सांप्रदायिक टिप्पणी करने की शिकायत दायर की थी। असम पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए एक टीम बंगाल भेजी है। असम सरकार ने वजाहत को गिरफ्तार करने के लिए ममता सरकार से मदद मांगी है

सीएम ने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के साथ वार्ता के बाद मीडिया को बताया कि असम सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से उक्त व्यक्ति को सौंपने का अनुरोध किया है। लेकिन यह समय ही बताएगा कि वे अनुरोध पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और क्या हमारे साथ सहयोग करते हैं।