शनि ढाई साल बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं लेकिन किसी राशि में शनि का पुनः गोचर 30 साल बाद होता है, यानी राशिचक्र को पूरा करने में शनि को 30 साल का समय लगता है। अब शनि 30 साल बाद स्वयं की दूसरी राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। अभी तक वह स्वयं की पहली राशि मकर में गोचर कर रहे हैं।

विज्ञान, तकनीक, लोहा, कर्मचारी, सेवक के कारक ग्रह माने जाने वाले शनि नए साल की शुरुआत में 17 जनवरी 2023 को शाम 05 बजकर 04 मिनट पर स्वयं की राशि मकर से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे और पूरे वर्ष इसी राशि में बने रहेंगे। पंचांग के अनुसार, शनि ग्रह का ये राशि परिवर्तन माघ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर होगा। 30 जनवरी 2023 की प्रातः 12 बजकर 02 मिनट से 6 मार्च रात्रि 11 बजकर 36 मिनट तक वह अस्त अवस्था में रहेंगे। इसके बाद 17 जून 2023 को रात्रि 10 बजकर 48 बजे से वह वक्री हो जाएंगे और 4 नवंबर 2023 को प्रातः काल 08 बजकर 26 मिनट पर एक बार फिर से मार्गी अवस्था में आ जाएंगे।

कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही धनु राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी और मकर राशि के जातकों का साढ़ेसाती का द्वितीय चरण समाप्त होकर तृतीय चरण शुरू हो जाएगा। कुंभ राशि के जातकों का प्रथम चरण समाप्त होगा और दूसरा चरण शुरू होगा तथा मीन राशि के जातकों के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रारंभ हो जाएगा।

तुला राशि के जातकों को शनि की ढैया से मुक्ति मिलेगी और वृश्चिक राशि के लोगों को शनि की ढैया लग जाएगी। इसी प्रकार मिथुन राशि के जातकों की कंटक शनि की ढैया समाप्त होकर कर्क राशि के जातकों की कंटक शनि ढैया शुरू हो जाएगी।

शनि को न्याय का कारक कहा गया है। इस सृष्टि के प्रत्येक जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल देना शनि का कार्य है। जब भी शनि की दशा या महादशा लगती है तो व्यक्ति अपने-अपने कर्मों के अनुसार फल प्राप्त करता है। यही कारण है कि शनि की दशा आने पर जहां कुछ लोग रातोरात करोड़पति बन जाते हैं तो कुछ राजा से रंक भी बनते हैं। यह सब उनके ही कर्मों के कारण होता है। शनि का कुंभ राशि में गोचर ‘शश महापुरुष योग’ का निर्माण करेगा जो की राजयोगों में प्रधान कहा गया है।