![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2017/06/IMG-20170612-WA0038.jpg)
![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2017/06/IMG-20170612-WA0039-1.jpg)
![](https://lalluram.com/wp-content/uploads/2017/06/photo-1.jpg)
धमतरी। पापा मेले घर में शौचालय क्यों नही है ? मैं कब तक खुले मैदान में शौच जाऊँगा ? खुले में शौच जाता हूँ तो सब लोग मुझ पर हसंते है , मुझे अब शर्म आने लगी है। हकलाती जुबान से अपने पिता से सवाल करता ये मासूम सा बच्चा धरमपाल है, जो कक्षा पहली का छात्र है। मौजूदा वक्त में इस बच्चे के परिवार को सरकार के महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत मिशन योजना का लाभ नही मिल पाया है। नतीजन आज भी पूरा परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है। हालांकि ये अलग बात है कि सरकारी सिस्टम खुले में शौच मुक्त जिला होने का वाहवाही बटोर चुका है। लेकिन इन तमाम दावों और वाहवाही के बीच मासूम धरमपाल की यह कहानी सरकारी तन्त्र की पोल खोलती नजर आ रही है ।
जिले के कसावाही गांव में रहने वाले मासूम धरमलाल की उम्र महज 6 साल है जिसने कलेक्टर को अपने हाथो से एक आवेदन लिखकर अपने घर में शौचालय बनाने की मांग की है । मासूम धरमलाल का कहना है कि जब वह खुले में शौच जात है तो आसपास के लोग उसे चिढ़ाते और मजाक उड़ाते हैं। जिसके कारण उसे पीड़ा होती है । मजाक बनाये जाने से तंग आकर वह अपने माता पिता से शौचालय बनाने की जिद करता रहता है । लेकिन अपने हालात और बेबसी के चलते माता पिता शौचालय बनाने में सक्षम नहीं है । ऐसा नहीं है कि इस परिवार ने कभी शौचालय की मांग नही की है, बल्कि कई बार पंचायत और प्रशासन से गुहार लगाया लेकिन पीड़ा किसी ने नही सुनी । कहानी यही खत्म नही होती है पंचायत में जब खुले में शौच करने वाले लोगों की पहचान की जा रही थी तब ऐसे लोगों के नाम लेकर गुप्त मतदान कराया गया। दिलचस्प बात है कि खुले में शौच करने वाले बड़े या बुर्जुगों से पहले नाम अगर किसी का आया तो वह नाम मासूम धरमपाल का था। हर तरफ से शर्मन्दगी का सामना कर रहे बच्चे ने आखिरकार शौचालय के लिए माता-पिता के सामने जिद शुरू कर दी थी । इधर गरीबी के बीच गुजर बसर कर रहे माता के बस में बच्चे की जिद पूरी करना नामुमकिन था। परिवार की तकलीफ को देखकर गांव में ही रहने वाले एक अदने से लड़के ने धरमपाल से ही आवेदन लिखाने की बात सोची। लड़के के कहने पर मासूम धरमपाल ने जिला प्रशासन के नाम आवेदन लिखा और आवेदन को जिला जनदर्शन में भी दिया है । यहां मौजूद सरकारी महकमे ने शौचालय बनाने का आश्वासन दिया है ।
आखिर कहा गए सरकार के वो दावे ? जो ये कहते है कि किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नही जाना पड़ेगा ? क्या ये दावे महज कागज में ही रहेंगे ? कहने को तो धमतरी जिले को बकायदा ओडीएफ जिला का दर्जा भी प्राप्त है । ओडीएफ घोषित होने के बाद प्रशासन दावे करते फिर रहा है कि यहां कोई भी व्यक्ति खुले में शौच नही जाता । ऐसे में धरमलाल की कहानी बताती है कि सरकारी दावे पूरी तरह से सच नही है । बहरहाल देखना होगा कि प्रशासन अब इस बच्चे के गुहार को कितनी गंभीरता से लेती है और उसे लोगों के सामने शर्मिन्दा होने से निजात दिलाती है।