सत्या सिंह राजपूत, रायपुर। कोरोना का देश में बड़ी तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ देश में ऐसा राज्य है जहां जिस गति से कोरोना के मरीज आए उससे तेज गति पूर्ण ठीक होकर घर लौट रहे हैं। प्रदेश में कोरोना के 11 मामले आए जिनमें 9 पूर्ण ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं वहीं दो का इलाज अभी जारी है. जिनके भी जल्दी ठीक होने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस राहत भरी खबर के पीछे कई कारण है, जिसमें एक राजधानी रायपुर जयस्तंभ चौक की मल्टीलेवल पार्किंग की तीसरी मंजिल पर स्थापित कोरोना वार रूम है। जहां से शहर में लगे 250 सीसीटीवी कैमरा और 50 ड्रोन कैमरा के माध्यम से चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है, सीसीटीवी फुटेज और हेल्फलाईन नंबर से मिली शिकायत आधार पर कार्रवाई की जाती है। इस वार रूम का जायजा लेने पहुंचे सांसद सुनील सोनी ने कहां मैं हमेशा दूसरे राज्य के वार निगरानी सिस्टम का तारीफ करता था लेकिन आज इसे देखकर लगता है उन सबसे दस गुना ज्यादा कारगार और अच्छा है।

जयस्तंभ चौक की मल्टीलेवल पार्किंग की तीसरी मंजिल पर स्थित आईटीएमएस का कंट्रोल रुम फिलहाल कोरोना के वॉर रुम में तब्दील हो चुका। इसी वॉर रुम से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। कलेक्टर भारती दासन और एसएसपी आरिफ शेख के साथ निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी का ऑफिस भी इसी वॉर रुम में शिफ्ट हो गया है। यहीं से सारे अफसर शहर में अपनी कमान संभाल रहे हैं।  न कलेक्टर के किसी आदेश को जारी करने के लिए फाइलों से होकर गुजरना पड़ रहा है और न एसएसपी को किसी तरह की मंजूरी के लिए अपनी फाइल कलेक्टर ऑफिस भेजनी पड़ रही है। कोरोना के रोकथाम को लेकर कोई प्रशासनिक या सुरक्षा से जुड़ा फैसला लेना हो, सारे काम और प्रस्ताव यहीं बन रहे हैं और यहीं से पास होकर कुछ ही मिनटे में आदेश के रुप में लागू हो रहे हैं।

आईटीएमएस को कोरोना का वॉर रुम बनाने की सबसे खास वजह हॉल में लगी एक दर्जन से ज्यादा बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन। इस स्क्रीन पर शहर की सारी प्रमुख सड़कें नजर आती हैं। यही वजह है कि अफसर यहीं बैठकर शहर की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। उसी हॉल से सटा शीशे का बना कांफ्रेंस चेंबर भी है। उसी चेंबर के भीतर गोल टेबल पर कलेक्टर एस भारती दासन, उन्हीं के बाजू एसएसपी आरिफ शेख, एडीएम विनित नंदनवार, निगम कमिश्नर सौरभ कुमार, एडिशनल कलेक्टर पद्मिनी भोई, एसडीएम संदीप अग्रवाल और सिटी एसपी पंकज चंद्रा व कोरोना के नोडल अफसर तारकेश्वर पटेल भी अपना ऑफिस यहीं लगा रहे है। इससे जिस काम में कई दिन  लग जाते थे वे अब चंद मिनटों में होने लगा है।

सुनील सोनी कहते हैं ये सेंटर अकल्पनीय है कि ट्रैफिक सिस्टम से पूरे शहर पर नजर रखी गई है। कोरोना के संदर्भ में जो जितनी आवश्यकता है जो कोई फोन करता है भोजन की जरूरत है कोई और जो कुछ और जरूरत है सारी जरूरतें जो है एकात्मिक सिस्टम से लोगों तक पहुंच चाहते हैं। मैंने भी यहां फोन किया है दोबारा पलट के मेरे पास अभी तक शिकायत नहीं आई है तो यहां कोशिश कर रहे हैं और हम लोग भी व्यक्तिगत इस बात की कोशिश कर रहे हैं। मैं भी घूम रहा हूं कि जहां जरूरत है उन लोगों को पहुंच जाए ऐसे जो बहुत से सामाजिक संस्था है जो मुझसे कांटेक्ट की है उन सारे लोगों को कह कर इसको पहुंच जाए। तीसरी नजर के माध्यम से पूरा शहर को कवर करके रखा है और मैं समझता था कि मैं इंदौर गया हूं, मुंबई, पूरी, गया, भुनेश्वर, और कोलकाता के कंट्रोल रूम को देखा था। मुझको अभी तक भुनेश्वर का अच्छा लगा लेकिन भुनेश्वर से 10 गुना अपना रायपुर का है और यहां पर पर्याप्त स्पेस के अंदर में मेन पावर के साथ में आधुनिक सिस्टम के तहत इसको डेवलप्ड किया है और राजधानी रायपुर में बहुत बड़ी सौगात है।

हेल्प लाईन के माध्य से श्रम विभाग छत्तीसगढ़ के मजदूर जो दूसरे राज्यों में फंसे हैं और यहां जो बाहरी राज्यों के श्रमिक फंसे हैं।  24 घंटे उनके बारे में न सिर्फ जानकारी जुटा रहा है, बल्कि उन्हें सुविधाएं भी मुहैया करवा रहा है। छत्तीसगढ़ के करीब हजारों मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं। इनमें से सैकड़ों लोग प्रदेश वापस लौटने के लिए रोज हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल कर रहे हैं। भोजन के इंतजाम और दवाओं की जरूरत तथा पैसे खत्म हो जाने की परेशानियां भी वे बता रहे हैं। मजदूरों को प्रदेश लाने की मांग को छोड़ ज्यादातर का निराकरण श्रम विभाग ने संबंधित राज्यों से संपर्क कर किया जा रहा है। कोरोना को लेकर 24 मार्च से ही राज्य में श्रमिकों के लिए कंट्रोल रूम प्रारंभ व हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए गए हैं। हर दिन 7 से 8 सौ कॉल आ रहे हैं।