पुरी. श्रीमंदिर परिसर में स्थित पवित्र गंगा-यमुना कुएं का जलस्तर लगातार गिरने से भक्तों और मंदिर प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. इस कुएं का पानी महाप्रसाद तैयार करने में उपयोग किया जाता है, लेकिन अब यह प्रयाप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराने में असमर्थ हो रहा है. पिछले चार वर्षों में कुएं का जलस्तर 1.6 मीटर तक घट चुका है. परिणामस्वरूप, सुआर और महासुआर बीते 15 वर्षों से महाप्रसाद पकाने के लिए बोरिंग के पानी पर निर्भर हैं.

श्रीक्षेत्र में घट रहा भूजल स्तर

न केवल श्रीमंदिर, बल्कि सम्पूर्ण श्रीक्षेत्र में भूजल स्तर गिर रहा है. लोकनाथ मंदिर क्षेत्र में भी जलस्तर 1.71 मीटर तक घट चुका है, जिससे मंदिर प्रशासन चिंतित है.

होटलों और व्यवसायों पर आरोप

सुआर और महासुआरों ने श्रीमंदिर के आसपास के होटलों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भूजल दोहन के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि ये व्यवसाय बड़े पैमाने पर भूजल निकाल रहे हैं, जिससे मंदिर के जल स्रोत सूख रहे हैं.

परंपरा के खिलाफ बोरिंग का पानी

गंगा और यमुना के जल से महाप्रसाद तैयार करने की परंपरा रही है, क्योंकि यह शुद्ध और पवित्र माना जाता है. लेकिन जलस्तर में लगातार गिरावट के कारण पिछले 15 वर्षों से बोरिंग का पानी इस्तेमाल हो रहा है, जो मंदिर की परंपरा के खिलाफ है.

प्रशासन ने दिया आश्वासन

पुरी जिला कलेक्टर और श्रीमंदिर के उप मुख्य प्रशासक, सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जल्द आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.