रायपुर. एक बार फिर राजधानी में मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है. जहां एक महिला को उसके पति के शव को ले जाने के लिए एक शव वाहन भी नहींं मिल सका. इस महिला को अपने पति के शव को ठेले पर लेकर जाना पड़ा.
महिला का कहना है कि उसका पति एक फैक्ट्ररी में काम करता था. इसी बीच पति को इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया. लेकिन यहां भी उसका उचित इलाज नहीं हो सका और उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपने पति का इलाज किसी बड़े अस्पताल में करा सकती. इसी बीच उसके पति की मौत हो गई.
मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने ना तो शव वाहन उपलब्ध कराया और न ही किसी तरह की मदद की. इतना ही नहीं उसके पास भी इतना पैसा नही था कि वह एम्बुलेंस बुलाकर अपने पति के शव को घर ले जा सके. इसलिए वह अपने पति के शव को ठेले पर ही लेकर निकल गई.
महिला अपने पति के शव को लेकर फैक्ट्री प्रबंधन के पास गई और उसने प्रबंधन से मुआवजा दिलाने की मांग की लेकिन मुआवजा तो दूर की बात है फैक्ट्री प्रबंधन ने उल्टा महिला को ही डराना धमकाना शुरू कर दिया.
इसी बीच कुछ पत्रकार महिला की मदद के लिए आगे बढ़े लेकिन फैक्ट्री के बाउंसरों ने इन पत्रकारों की भी पिटाई कर दी. बाउंसरों ने इन पत्रकारों पर लोहे की रॉड से हमला किया और जान से मारने की धकमी दी. जैसे तैसे इन पत्रकारों ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई.
बाद में इस पूरे मामले की शिकायत करने ये लोग आजाद चौक थाने पहुंचे. हालांकि शिकायत के बाद भी अब तक फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
बहरहाल इस घटना ने एक बार फिर जहां एक ओर शासन की उन योजनाओं की पोल खोलकर रख दी है जिसमें जरूरतमंदों को निशुल्क उचित इलाज और निशुल्क शव वाहन उपलब्ध कराने के दावे किये जाते रहे हैं. वहीं दूसरी ओर उन स्वयं सेवी संस्थाओ और जनप्रतिनिधियों को भी कटघरे में खड़ा किया है, जो यह कहते नहीं थकते हैं कि हम हर गरीब की मदद के लिए उनके साथ खड़े हैं.
देखिये वीडियो…
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