मढ़ौरा(सारण). मूंछे हो तो नत्थूलाल जैसी वरना ना हो. यह डॉयलॉग तो आपने जरुर सुनी होगी. अब दूसरा डॉयलॉग भी याद कर लीजिए. पढ़ाई की ललक हो तो बबिता महतो जैसी वरना ना हो. मढ़ौरा की बबिता महतो प्रसव के बाद ही परीक्षा देने पहुँच गई. गोद में चार घंटे का नवजात और हाथ में पेन-कॉपी देखकर हर कोई भौंचक्क रह गया. परीक्षा हाल में मौजूद केन्द्राध्यक्ष और सभी टीचर हैरान हो गए.

आपको बता दें कि मढ़ौरा नगर पंचायत की बबिता महतो के पति मजदूरी करते हैं. मगर बबिता महतो ने ठान लिया है कि उसे अफसर बनना है. परिवार को गरीबी से मुक्त करना है. बबिता जब परीक्षा हाल पहुंची तो उन्हें विशेष रियायत भी मिली. नवजात बच्चे का परीक्षा तक ख्याल रखने नवजात शिशु के दादी को एग्जाम सेंटर के भीतर प्रवेश दिया गया. वही परीक्षा हाल के बाहर मजदूर पति भी अपने पहले बच्चे को गोद में लेकर दुलारने इंतजार करते रहे.

बबिता महतो ने परीक्षा हाल में केन्द्राध्यक्ष को बताया कि उसका आज एग्जाम की तो निर्धारित तिथि थी. लेकिन उसके प्रसव का कोई नियत तिथि नहीं थी. परीक्षा के पूर्व रात्रि ही वह प्रसव पीड़ा से कराहने लगी. परिवार ने उसे नजदीकी एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया. जहाँ उन्हें पहला लाडला मिला है. उसकी ख़ुशी तो है ही मगर वह एग्जाम मिस नहीं करना चाहती थी. बबिता के जिद के आगे परिवार वालों की एक ना चली और वह पेपर देने पहुँच गई.