सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर. जिले के सेमरसोत वन अभ्यारण क्षेत्र में फिर से एक बार सैकड़ों हरे भरे पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है.15 दिन पूर्व भी अभ्यारण क्षेत्र में मिट्टी बांध बनाने के नाम पर सैकड़ों पेड़ो की बलि दे दी गई थी, मामले में वाइल्ड लाइफ के वन संरक्षक के आश्वासन के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं इस बार मामले में अभ्यारण क्षेत्र के रेंजर ने पेड़ों की अवैध कटाई के लिए शासन को ही दोषी ठहराया है.
बता दें कि, जिले के सेमरसोत अभ्यारण क्षेत्र में बड़की महरी बीट में फिर से विभाग की अनदेखी की वजह से सैकड़ों हरे भरे पेड़ काट दिए हैं, जिसके बाद विभाग अब कटी हुई लकड़ियों को डिपो में लाकर जंगल मे ठूठ गिनने में लगा हुआ है. जहां एक तरफ रिजर्व फॉरेस्ट में एक पत्ता भी तोड़ने की शख़्त मनाही होती है, वहीं लगातार अभ्यारण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई अब विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है.
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ग्रामीणों ने बताया कि विभाग के ही एक दरोगा के संरक्षण में रिजर्व फॉरेस्ट में पेड़ों की अवैध कटाई लगातार हो रही है. बावजूद इसके उच्च अधिकारी मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. सूत्रों की माने तो रिजर्व फॉरेस्ट से लकड़ियों की कटाई के बाद उसे पड़ोसी राज्य झारखंड में तस्करी की जाती है, जिसमें विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रहती है. फिलहाल विभाग अब कटे हुए पेड़ों की गिनती करने में जुटा हुआ है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि मामला उजागर होने के बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा कोरम पूरा करने के लिए तीन निर्दोष ग्रामीणों को जेल भेज दिया गया था.
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जानकारी के अनुसार 15 दिन पहले भी रिजर्व फॉरेस्ट में सैकडों हरे भरे पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया था, जिसमें वाइल्ड लाइफ के वन संरक्षक ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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वहीं अब दूसरे मामले में अभ्यारण क्षेत्र के गेम रेंजर डीपी सोनवानी ने पेड़ो की कटाई का पूरा ठिकरा सरकार पर ही मढ़ दिया है,उन्होंने कहा है विभाग में कर्मचारियों की कमी है जिसको पूरा करने के लिए शासन को कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन शासन से कोई जवाब नहीं मिला और यही कारण है कि रिजर्व फॉरेस्ट में लगातार पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है. जिस जंगल मे एक दांतून तोड़ने पर सजा तय की जाती है. वहीं से सैकड़ो पेड़ों की अवैध कटाई के लगातार मामले सामने आ रहे हैं, जिससे आने वाले समय मे जंगली जानवरों के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है. मामले में रेंजर द्वारा शासन को दोषी ठहराना कितना उचित ये जरूर जांच का विषय है.
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