रायपुर. कार्तिक माह भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. इस पूरे माह भगवान विष्णु की अराधना से मां लक्ष्मी अति प्रसनन होती है. छत्तीसगढ़ में भगवान विष्णु प्राचीन समय से अराध्य रहे हैं. भगवान विष्णु के सातवें अवसर श्रीराम का छत्तीसगढ़ से नाता सभी को पता है. इसे लेकर राज्य की भूपेश सरकार राम वनगमन परिपथ पर काम भी कर रहा है. पहली बार आप प्रदेश के भगवान विष्णु को समर्पित मंदिरों को एक साथ देख रहे हैं.
शिवरीनारायण
बिलासपुर से 64 किलोमीटर दूर महानदी के पावन तट पर बसे शिवरीनारायण में कलचुरी कालीन स्थापत्यकला के सर्वाधिक मंदिर है. शिवरीनाराण को नारायण का पुरूषोतम क्षेत्र भी कहा जाता है. यहां के सभी मंदिर पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है. 12वीं शताब्दी का यह मंदिर नर-नारायण मंदिर के ठीक सामने हैं. मूर्ति के चारों ओर भगवान विष्णु के 10 अवतारों का सुंदर अंकन है. Also Read – फोर्ब्स की बिलेनियर्स इंडेक्स में मुकेश अंबानी ने लगाई लंबी छलांग, लिस्ट में अडानी के नजदीक पहुंचे …
विष्णु मंदिर जांजगीर
12वीं सदी का विष्णु मंदिर जांजगीर की पुरानी बस्ती के भीमा तालाब के पास स्थित है. मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों में से वामन, नरसिह, कृष्ण और राम की प्रतिमाएँ है. मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है. मान्यता अनुसार शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर के इस मंदिर के निर्माण में प्रतियोगिता थी. भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि जो मंदिर पहले पूरा होगा, वे उसी में प्रविष्ट होंगे. शिवरीनारायण का मंदिर पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण उसमें प्रविष्ट हुए. जांजगीर का यह मंदिर सदा के लिए अधूरा छूट गया.
नारायणपाल बस्तर
जगदलपुर के उत्तर-पश्चिमी तरफ चित्रकोट झरने से जुड़ा हुआ, नारायणपाल नाम का एक गांव, इंद्रवती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है. इस गांव में एक प्राचीन शानदार विष्णु मंदिर है, जो 1000 साल पहले बनाया गया था. वास्तुकला का एक सुंदर आकृति है. विष्णु मंदिर इंद्रवती और नारंगी नदियों के संगम के निकट स्थापित किया गया है. भारत के खजुराहो मंदिर के समकालीन, नारायणपाल मंदिर पूरे बस्तर जिले का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान विष्णु की मूर्ति शामिल है.
राजिम लोचन गरियाबंद
राजीम लोचन मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और समृद्ध विरासत के लिए लोकप्रिय है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह मंदिर नदियों के संगम पर स्थित है. रायपुर से 45 किमी की दूरी पर है. यहां पैरी नदी, सोंढूर नदी और महानदी का संगम है. इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है. लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु इस मंदिर में विश्राम करने आते हैं. इस मंदिर का निर्माण 5वीं शताब्दी में किया गया था.
मनेन्द्रगढ़
मनेन्द्रगढ़-मरवाही मार्ग पर लगभग एक किलोमीटर दूर छिपछिपी गांव में सैकड़ों वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की विहंगम प्रतिमा देखकर सहजता से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कितनी प्राचीन विरासत और संस्कृति छिपी हुई है. यहां काफी संख्या में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के अवशेष बिखरे भी है. ग्रामीणजनों के मुताबिक यहां सुखराम बाबा नामक संत आए थे और उन्होंने दुर्गम जंगल के अंदर एक दीमक की बामी देखी और जब उसे खोदा तो भगवान विष्णु की दशावतार वाली प्रतिमा निकली. बिलासपुर के मल्हार में चतुर्भुज विष्णु की एक अद्वितीय प्रतिमा भी है. Also Read – ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस वैशाली ठक्कर ने फांसी लगाई, बिग बॉस में भी आई थी नजर, 30 की उम्र में लगाया मौत को गले …
बानबरद, दुर्ग
जितना रहस्मयी नाम है, उतना ही रहस्य समेटे हैं छत्तीसगढ़ का यह प्रख्यात स्थान… जहां भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा है. दुर्ग जिला से 70 किमी दूर मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण 16वीं-17वीं ई. में हुआ था. बानबरद में गो-हत्या के पाप से मुक्ति पाने प्रदेश सहित देशभर से लोग पहुंचते हैं. पापमोचन कुंड में स्नान कर भगवान विष्णु के मंदिर की परिक्रमा करने से आत्मा की शुद्घि होती हैं, तभी गो-हत्या के पास से मुक्ति मिलती है.
सिरपुर महासमुंंद
महासमुंद जिले में स्थित सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर का निर्माण सन् 525 से 540 के बीच हुआ. जिसे प्राचीनकाल में श्रीपुर कहा जाता था. पौराणिक भूमि श्रीपुर में कई ऐसे देवस्थानों के अंश मिलते हैं जो कई सदियों पुराने माने जाते हैं. यह मंदिर भारत का पहला लाल ईंटों से बना मंदिर है. गर्भगृह, अंतराल और मंडप, मंदिर की संरचना के मुख्य अंग हैं. साथ ही मंदिर का तोरण भी उसकी प्रमुख विशेषता है. मंदिर के तोरण के ऊपर शेषशैय्या पर लेटे भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है. इस प्रतिमा की नाभि से ब्रह्मा जी के उद्भव को दिखाया गया है और साथ ही भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी विराजमान हैं. इसके साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों को चित्रित किया गया है.
ओटेबंद मंदिर बालोद
गुंडरदेही से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मंदिर. भगवान विष्णु का यहां छह दशक से महायज्ञ किया जा रहा है. यहां विष्णु जी की प्राचीन मूर्ति है. मंदिर आधुनिकता लिए वर्तमान समय में बनाया गया है. जिसमें मंदिर परिसर में अनेक देवी-देवाताओं की प्रतिमा है. मान्यता है कि यहां पेड़ पर नारियल और लाल कपड़ा बांधने से हर मनोकामना पूर्ण होता है. श्री भू लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा मंदिर स्थापित है. 1961 से प्रति वर्ष 11 दिवसीय यज्ञ होता आ रहा है.
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