युवाओं में आकस्मिक मौतों का कोरोना टीकाकरण से संबंध का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिला है। युवाओं की आकस्मिक मौत हृदयघात के चलते हुई है। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की पहल पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। एम्स के पैथोलॉजी और फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने यह अध्ययन मार्च 2023 से अप्रैल 2024 के बीच किया। जिसमें कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी सहित कई विभागों के डॉक्टर शामिल हुए।
यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के दौरान एम्स में कुल 2214 शवों का पोस्टमार्टम किया गया। जिसमें 180 मामले आकस्मिक मौत के थे। इनमें 57.2 फीसदी मृतकों की उम्र 18 से 45 वर्ष और 42.8 फीसदी मृतकों की उम्र 46 से 65 वर्ष थी, जबकि युवाओं की औसत उम्र 33.6 वर्ष मिली। अध्य्यन में आकस्मिक मौत के कारणों को लेकर सामने आया कि 42.6 फीसदी मामलों में मौत का कारण हृदयघात रहा जबकि 21.3 फीसदी मामलों की आकस्मिक मौत अचानक सांस संबंधी परेशानी के चलते हुई।
वहीं 21.3 फीसदी मामलों में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। जिन युवाओं की आकस्मिक मौत हुई। उसमें 57.4 फीसदी युवा धूम्रपान, 52.1 फीसदी शराब का सेवन करते थे। जबकि 46 से 65 वर्ष के उम्र वालों में यह आंकड़ा और अधिक मिला। इसमें 66.2 फीसदी लोग धूम्रपान और 64.7 फीसदी शराब का सेवन करते थे। वहीं 14.9 फीसदी युवाओं और 20.6 फीसदी से ज्यादा उम्र के मृतकों के परिवारों में पहले भी आकस्मिक मौत की घटनाएं हो चुकी थीं। इसके अलावा आकस्मिक मौत वाले 5.3 फीसदी युवा उच्च रक्तचाप और 3.3 फीसदी युवा मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे थे।
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