शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाएगा। यह फैसला मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने लिया है, जिसके तहत कमलनाथ सरकार के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के निर्णय को अध्यादेश के जरिए पलटा जाएगा।
पार्षदों की खरीद-फरोख्त और धनबल के दुरुपयोग को रोकने की कोशिश
पहले, 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी पार्षदों के जरिए कराने का फैसला किया था। लेकिन अब मौजूदा सरकार ने इसे बदलते हुए प्रत्यक्ष प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। इसका मकसद पार्षदों की खरीद-फरोख्त और धनबल के दुरुपयोग को रोकना है। साथ ही, सरकार ने अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित नियमों में भी बदलाव किया है।
अध्यक्ष के खिलाफ 4 साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा
अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की न्यूनतम अवधि को 3 साल से बढ़ाकर साढ़े 4 साल कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अध्यक्ष के खिलाफ 4 साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। यह बदलाव 2014 के बाद एक बार फिर जनता को अपने अध्यक्ष को सीधे चुनने का अधिकार देगा। इस कदम से नगरीय निकायों में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
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