6 सितंबर से लेकर 8 सितंबर तक लगातार 3 दिन व्रत रहेंगे. सबसे पहले हरतालिका तीज, अगले दिन गणेश चतुर्थी फिर ऋषि पंचमी व्रत किया जाएगा. तीनों ही दिन सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होते हैं. तीज पर अखंड सौभाग्य की कामना से भगवान शिव-पार्वती के साथ गणेश-कार्तिकेय की पूजा और व्रत करेंगी. सुख और समृद्धि के लिए चतुर्थी पर गणेशजी का आशीर्वाद लगी. वहीं, अच्छी सेहत और संतान की लंबी उम्र के लिए ऋषि पंचमी पर सप्त ऋषि व्रत- पूजा का विधान है.

हरतालिका तीज

हरतालिका तीज (6 सितंबर) पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है. इस साल 5 सितंबर को 10 बजकर 4 मिनट से तृतीया तिथि की शुरुआत होगी और 6 सितंबर को दोप. 12 बजकर 8 मिनट पर खत्म होगी. उदयाकालिक तृतीया तिथि के आधार पर 6 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत रखा जाएगा. 6 सितंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक हरतालिका तीज व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त है पौराणिक कथा के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था. हरतालिका तीज का व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. 

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी (7 सितंबर) भाद्रपद माह की चतुर्थी को गणेश पूजा की शुरुआत होती है. इस साल 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट से इस तिथि की शुरुआत होगी. 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर चतुर्थी तिथि का अंत होगा. उदया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाया जाएगा. 7 सितंबर को सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर 1 बज कर 33 मिनट तक मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त है. इस दिन उपवास रख गणेशजी को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है. 

ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी (8 सितंबर): इस साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 7 सितंबर को शाम 05:37 मिनट पर होगा और 8 सितंबर, 2024 को सायं 07:58 मिनट पर समाप्त होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 8 सितंबर को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है. सप्तऋषि सात ज्ञानी ऋषियों का समूह था जिन्होंने लोगों को अच्छाई और धर्म की राह दिखाई.

ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपना ज्ञान लोगों में बाँटा ताकि लोग धर्म का रास्ता अपनाएँ और प्रबुद्ध हो जाएँ. ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने से मनुष्य के पूर्वजन्म के पाप मिट जाते हैं. सात ऋषियों के नाम कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, वशिष्ठ, जमदग्नि है. जिनकी विधिवत पूजा की जाती है.