इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा के दसवें दिन बकरीद मनाई जाती है. इस वर्ष यह पर्व 17 जून 2024 को पड़ रहा है. यह त्योहार इस्लाम धर्म के लोगों के लिए दूसरा बड़ा पर्व है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस्लाम धर्म में बकरीद के दिन को बलिदान का प्रतीक माना जाता है. बकरीद को ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की इबादत में खुद को समर्पित कर दिया था.

एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा ली और उनसे उनकी कीमती चीज की कुर्बानी मांगी. तब उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बानी देनी चाहिए. लेकिन तब अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह वहां एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी. कहा जाता है कि तब से ही मुसलमानों में बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देनी की परंपरा शुरू हुई. Read More – Juhi Chawla ने दिया Shahrukh khan का हेल्थ अपडेट, कहा – IPL के फाइनल मैच जरूर आएंगे वो …

खरीदारों की पहली पसंद खूबसूरत और तंदरुस्त बकरा होती है

हर खरीदार की यही डिमांड है कि बकरा देखने में खूबसूरत और तंदरुस्त हो. बकरों के मामले में जब बात खूबसूरती और तंदरुस्ती की आती है तो बरबरी नस्ल के बकरों का जिक्र ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता है. बकरा मंडियों में खरीदार भी पहले प्योर नस्ल के बरबरी बकरे की ही तलाश करते हैं. बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन नौ महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. Read More – शादी करने जा रहे Abdu Rozik, वीडियो शेयर कर फैंस को दी खुशखबरी …

इन देशों में भी है डिमांड

बरबरी नस्ल का बकरा वजन में 25 से 40 किलो तक का पाया जाता है. देश के अलावा अरब देशों में बरबरी नस्ल के बकरे की बहुत डिमांड है. बरबरी बकरे को मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है. डिब्बा बंद मीट के साथ जिंदा बरबरे बकरे भी सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत के साथ ही ईरान-इराक में सप्लाई किए जाते हैं. देखने में भी बरबरी नस्ल के बकरे बहुत खूबसूरत होते हैं तो बकरीद के मौके पर लोग कुर्बानी के लिए मुंह मांगे दाम देते हैं.