रायपुरभारत की आजादी का दिन है स्वतंत्रता दिवस. इस दिन को सिर्फ लाल किले पर झंडे फहराकर ही नहीं बल्कि लोग एक-दूसरे को मैसेज के जरिए भी मनाते हैं. कुछ ऐसा ही संदेश देने की कोशिश की है प्रदेश की एक बेटी ने,जिसने आपने इस कारनामे से पूरे प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है.

दरअसलग्लेशियर और स्नो से ढंकी खाई, तेज स्नो फॉल, खड़ी चढ़ाई, बारिश, खाने का कुछ ही सामान और तो और लोगों के हौसले भी टूट रहे थे. लेकिन प्रदेश के बस्तर की रहने वाली बेटी ने इस स्वंतत्रता दिवस को खास मनाने के लिए 5950 मीटर ऊंची चोटी में जहां देश का तिरंगा फहराकर ‘बेटी किसी से कम नहीं, बेटी से देश को मिलेगा दम’ का संदेश दिया है.

बता दें कि ये मुकाम हासिल किया है बस्तर की नैना सिंह धाकड़ ने,नैना ने साइकिल से इस सफर की शुरुआत 24 जुलाई को मनाली से की थी जो 8 अगस्त माउंट गोलेप कंग्री 5950 मीटर की चढ़ाई में जाकर खत्म हुई है.बस्तर की माउंटेनर बेटी नैना सिंह और उनके साथ हरियाणा की सविता मलिक ने स्वतंत्रता दिवस को खास बनाने और महिलाओं को हिम्मत देने के लिए अभियान चलाया.

ट्रेन के लोकल डिब्बे में दो साइकिल और सामान लिए…

इसके बाद नैना ने इसकी जानकारी भी साझा की है, जिसमे उन्होंने बताया है कि ये सफर उनके लिए कितना मुश्किल था,लेकिन जब हौसले बुलंद हो तो कुछ भी किया जा सकता है. नैना ने बताया कि यह हमारा पहला सफर था. 22 जुलाई को सफर हरियाणा के रोहतक से शुरू हुआ था. ट्रेन के लोकल डिब्बे में दो साइकिल और सामान लिए शाम पांच बजे निकले थे. रात नौ बजे पानीपत स्टेशन पहुंचे. तेज बारिश हो रही थी तो रात 10 बजे बस में पूरा सामान रख सफर शुरू किया.

दूसरे दिन 23 जुलाई को मनाली पहुचंते 11 बज गए थे. बारिश भी लगातार हो रही थी. यहां एक दिन रुके और दूसरे दिन अपने लक्ष्य को पूरा करने साइकिल से निकल पड़े. 24 जुलाई को मनाली से साइकिल से सफर शुरू किया.

हम आगे नहीं बढ़ सके…

मणी (मारही) 50 किलोमीटर दूर 3300 मीटर ऊंचाई वाले रास्ते को तेज बारिश में पूरा किया. यहां टेंट लगाया और खाना खाया. आगे 25 को मौसम खराब होने के बाद भी 14 किलोमीटर रोहतांग 12 बजे के आसपास पहुंचे. नीचे उतर कर ग्रामपु, खोखसर, शिशु 3170 मीटर पर रुके टेंट लगाया. यहां पहुंचते तक बहुत थक चुके थे. 26 जुलाई को टांडी होते हुए केलोंग 30 किलोमीटर, जिसकी ऊंचाई 3080 मीटर पर है, यहां पहुंचते तक मेरी साथी के साइकिल का कैरियर टूट गया, जिसमें सामान लदा हुआ था. हम आगे बढ़ नहीं पाए, यही रुकना पड़ा. किसी तरह यहां पीडब्ल्यूडी का गेस्ट हाउस मिला, जहां रह रहे परिवार के लोगों ने टेंट लगाने की जगह दी.तब जाकर कुछ राहत मिली.

बिना खाये पिये ही सो गए…

इसके बाद 27 की सुबह जिसपा, डारचा होते हुए दीपक ताल 3810 मीटर पहुंचे, जो बहुत खुबसूरत है. वहां कुछ समय के लिए रुके. 28 की सुबह सूरज ताल 4883 मीटर होते हुए बारालाचला 4890 मीटर की चढ़ाई चढ़ी. भरतपुर में रुके, क्योंकि मेरी साथी रास्ते में झरने के तेज बहाव में गिर गई. वे भीग गई और औढ़ने बिछाने का सामान भी भीग गया. 29 को सरचू होते हुए हम गाटालूप के लिए निकले. यहां हम चढ़ाई कर रहे थे तो देखा एक तेल टैंकर पलट गया है. जिससे पूरा रास्ता जाम था. हम काफी थक चुके थे.पानी भी खत्म हो गया, वहीं टेंट लगाया. कुछ खाए बिना ही सो गए.

खराब मौसम के कारण नीचे ही टेंट लगाया…

लगातार परेशान बढ़ रही थी,जब सुबह उठे थे सुबह पानी ट्रक वालों से लिया. फिर 30 जुलाई को टंगलंगला के लिए निकले यहां तेज हवा और खराब मौसम के कारण नीचे ही टेंट लगाया. 31 जुलाई को 58 किलोमीटर ढ़लान वाले रास्ते से वापस हुए. एक अगस्त को लेह के लिए निकले. दो अगस्त को हमने सारा सामान लेह में रखकर सुबह जल्दी ही खरदुंगला के लिए निकले. यहां दोपहर पहुंच कर भारतीय तिरंगा लहराया और ‘बेटी किसी से नहीं है कम, बेटी से मिलेगा देश को दम’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाऔ’ का संदेश दिया.

इसके बाद हम लेह में दो दिन रूके. पांच अगस्त को पर्वतारोहण अभियान के लिए निकले. लेह से स्टॉक वैली गाड़ी से गए फिर 11 बजे ट्रैक शुरू किया और कच्चे पत्थरों के बीच पानी के तेज बहाव नाले को पार करते हुए मनकरमो कैंप पहुंचे .

लद्दाख रेंज का सबसे ऊंचा पर्वत

इसके बाद आठ अगस्त की रात एक बजे माउंट गोलेप कंग्री बजे अभियान के लिए निकले. नैना ने बताया कि ये लद्दाख रेंज का सबसे ऊंचा पर्वत है. जिसकी ऊंचाई 6153 मीटर है. बारिश की जगह और ओस की वजह से साथी का पैर ग्लेशियर के कै्रवास पर चला गया, जिससे जूता भीग गया. और पूरी तरह ड़री हुई थी. कहीं फास्ट बाइट न हो जाए, उंगलियों को काटना न पड़े.

अभियान को खत्म करना चाह रही थी

नैना ते बताय कि मेरी साथी (सविता मलिक) इतनी ड़री हुई थी कि अभियान को खत्म करना चाह रही थी. किसी तरह मैने समझाया, उन्होंने बताया कि वहां मौजूद काफी टीम वापस हो रही  थी.कोई रो रहा था,सब बुरी तरह परेशान थे. इसकेा बावजूद हम दोनों डटे रहे और 8अगस्त की सुबह  8.30 बजे माउंट गोलेप कंग्री 5950 मीटर ऊंचाई पर तिरंगा फहराया और लोगों को संदेश दिया. आपको बता दें कि पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद से ही लोग दोनों की काफी तारीफ कर रहे हैं.