समीर शेख, बड़वानी। भारत का संविधान और कानून विचित्र है। यहां खुद की पहचान बताने पर कानून नहीं मानता जब-तक कोई दूसरा व्यक्ति ये ना साबित करें कि ये व्यक्ति फलां है। इसकी एक बानगी एमपी के बड़वानी जिले में देखने को मिली है। यहां के चार लोगों अपने जीवित (जिंदा) होने का सबूत देने के सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

बड़वानी राजपुर तहसील कार्यालय के बाहर बैठे चार लोग खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में लगे हैं। जिले के नांगलवाड़ी निवासी जाकिर खान, रहमान खान, सादिक खान, रहमत खान खुद को जिंदा साबित करने के लिए तहसील कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

दरअसल पूरा मामला यह है कि उक्त चारों लोगों की पैतृक जमीन नांगलवाड़ी में है। उक्त भूमि पर कुल 11 लोगों का मालिकाना हक था जिसमें से 3 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इनायत खान द्वारा उक्त जमीन को अपने नाम करा ली गई। इसके लिए इनायत ने अपने चारों चचेरे भाई रहमत खान, जाकिर खान, सादिक खान और रहमान खान को मृत घोषित कर दिया। उन्होंने चारों लोगों के कोई वारिश नहीं होना बताकर जमीन को अपने नाम कर लिया। मामला 2018 का है। जब इस बात की भनक उक्त चारों भाइयों को लगी जिसके पश्चात वह कई बार आवेदन और निवेदन करने शासकीय कार्यालय जा चुके हैं।

अभी तक उक्त प्रकरण में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकला है।चारों लोग स्वयं को जिंदा घोषित करने की जद्दोजहद में लगे हैं। जाकिर बताते है कि 2018 में हमको मृत घोषित कर हमारे ताऊ के लड़के इनायत खान ने जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम करवा लिया। उसके बाद से लगातार हम चारों भाई तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन यहां हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इनायत द्वारा धोखाधड़ी से 51 डिसमिल जमीन अपने नाम करवा ली, लेकिन हम जिंदा आदमी को देख कर भी अधिकारी जिंदा नहीं मान रहे हैं इसके लिए हम पर्याप्त सबूत भी अधिकारियों को दे चुके हैं। फिर भी हम पिछले 4 सालों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus