रूप चतुर्दशी का पर्व आज मनाया जा रहा है. इस दिन यमराज से विशेष प्रार्थना कर उनके सम्मुख सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए. आज नरक चौदस है यानि यमराज की पूजा का दिन. मान्यताओं के अनुसार आज के दिन यमराज की पूजा की जाती है. ताकि उम्र के अंतिम दौर में इंसान को कष्ट न हो. दुनियाभर में यमराज का एकमात्र मंदिर ग्वालियर में बना है. जहां आज भक्तों की भारी भीड़ जुटती है.
यमराज का ये मंदिर देश में अकेला होने के कारण पूरे देश में श्रद्धा और आस्था का केंद्र माना जाता है. आज के दिन यहां देश भर से श्रद्धालु आते हैं. मंदिर के पुजारी बताते है कि लोग इसलिए भी यमराज की पूजा-अर्चना करते है ताकि यमराज उन्हें अंतिम समय में कष्ट न दे. यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 310 साल पहले करवाई थी. Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …
यमराज की पूजा की पौराणिक कथा
यमराज की नरक चौदस पर पूजा अर्चना करने को लेकर पौराणिक कथा है. बताया जाता है कि यमराज ने भगवान शिव की तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने यमराज को वरदान दिया था की आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर तुम्हारी पूजा की जाएगा. जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलेनी. तो उस इंसान की आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी. जिसके बाद से ही नरक चौदस के दिन यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. Read More – 35 साल के हुए Virat Kohli : क्रिकेट के हर फॉर्मेट में खूब चला विराट का बल्ला, ये हैं उनके 35 खास रिकॉर्ड …
3 दिन होती है विशेष
पूजावर्ष भर में 3 दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है.जिसमें सबसे ज्यादा पूजा मकर संक्रांति के दिन होती है. इसके बाद नरक चौदस के दिन विशेष पूजा की जाती है. ताकि लोगों को नर्क से छुटकारा मिल सके, साथ ही कई बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है. इसके अलावा यम द्वितीया को भी यहां पर विशेष पूजा की जाती है.
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