बच्चे के जन्म के समय ग्रह नक्षत्रों को जो स्थिति रहती हैं, उनके अनुरूप ही उनके भविष्य का आक्लन ज्योतिष शास्त्र करता हैं, ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का उल्लेख आता है. इनमें से कुछ शुभ तो कुछ अशुभ नक्षत्र होते है. अगर अशुभ नक्षत्र हो तो उसे गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है और गंडमूल नक्षत्रों की श्रेणी में अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्र आते है. कहा जाता है कि अशुभ नक्षत्र अपना बुरा प्रभाव दिखाते ही हैं और शुभ नक्षत्र होने पर शुभफल मिलता हैं.

अगर कोई बच्चा गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेता तो उसे अशुभ माना जाता है, और ऐसे बच्चों के जीवन में अधिकतर समय परेशानी बनी ही रहती है. Read More – इस तनावपूर्ण जीवन आप भी नहीं ले पाते हैं सुख की नींद, तो वास्तु अनुरूप करें ये उपाय …

मूल नक्षत्र के 4 तरीके

  1. गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक स्वयं व अपने माता-पिता मामा आदि के लिए कष्ट प्रदान करने वाला होता है. ऐसे में माना जाता है कि यदि बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ है, तो उसके पिता को चाहिए कि अपने बच्चे का चेहरा न देखे और तुरंत पिता कि जेब में फिटकरी का टुकड़ा रखवा दें.
  2. इसके बाद 27 दिन तक रोज मूली के 27 पत्ते बच्चे के सिर कि तरफ रख दें और फिर उसे दुसरे दिन चलते पानी में बहा देना चाहिए. यह क्रिया 27 दिनों तक नियमित करना चाहिए. इसके बाद पिता अपने बच्चे को 28वें दिन विधिवत पूजा करके देखें. Read More – नाखूनों को आकर्षक बनाता है Nail Art, घर पर भी कर सकते है पार्लर जैसा नेलआर्ट, बस अपनी किट में शामिल करें ये Tools …
  3. अगर मूल नक्षत्र के कारण बच्चे का स्वास्थ्य कमजोर रहता हो तो बच्चे की माता को पूर्णिमा का उपवास रखना चाहिए. अगर बच्चे की राशी मेष और नक्षत्र अश्विनी है तो बच्चे को हनुमान जी की उपासना करवाएं. अगर राशि सिंह और नक्षत्र मघा है तो बच्चे से सूर्य को जल अर्पित करवाएं. अगर बच्चे की राशि धनु और नक्षत्र मूल है तो गुरु और गायत्री उपासना अनुकूल होगी. अगर बच्चे की राशी कर्क और नक्षत्र आश्लेषा है तो शिवजी की उपासना उत्तम रहेगी. वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र होने पर भी हनुमान जी की उपासना करवाएं. अगर मीन राशि और रेवती नक्षत्र है तो गणेश जी की उपासना से लाभ होगा.
  4. अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्र में जन्में जातकों को गणेशजी की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलता है. आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए बुध ग्रह की अराधना करना चाहिए तथा बुधवार के दिन हरी वस्तुओं का दान करना चाहिए. गंडमूल में जन्में बच्चे के जन्म के ठीक 27वें दिन गंड मूल शांति पूजा करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देने और उन्हें भोजन करवाना चाहिए.