शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का नाम सुनते ही कई लोगों के मन में डर बैठ जाता है। इसकी वजह भी साफ है, यह ग्रह जब अशुभ अवस्था में आता है तो जीवन में रुकावटें, मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी और कई बार स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ जाती हैं, पर क्या इसका कोई सहज समाधान है? ज्योतिषाचार्यों की मानें तो सात मुखी रुद्राक्ष इस स्थिति से राहत दिलाने वाला एक प्रभावशाली उपाय माना गया है।
सात मुखी रुद्राक्ष की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी हैं और यह विशेष रूप से शनि ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए पहना जाता है। इसे पहनने से ना सिर्फ शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं, बल्कि धन, समृद्धि और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। इसे शनिवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में या सूर्योदय से पहले शुद्ध करके धारण करना शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष को गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करने के बाद दीप-धूप दिखाकर ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद इसे चांदी, तांबे या काले धागे में गले में पहनें।

पहनते समय यह ध्यान रखें कि सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करते हुए व्यक्ति संयमित जीवनशैली अपनाए। मांस, शराब, झूठ या क्रोध जैसी आदतों से दूरी बनाए। ज्योतिष आचार्य का मानना है कि यह रुद्राक्ष सिर्फ आध्यात्मिक सुरक्षा ही नहीं देता, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाता है और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ऊर्जा देता है। हालांकि, किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले अपनी कुंडली दिखाकर सलाह लेना ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी होता है।
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