संजीव शर्मा,कोण्डागांव। बस्तर विश्वविद्यालय ने यूजीसी की गाइडलाइन के तहत बस्तर के हजारों महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए अपात्र घोषित कर दिया था. फाइनल ईयर के छात्रों को फस्ट ईयर की परीक्षा देने का प्रस्ताव दिया था. इस हैरतअंगेज मामले से पूरे बस्तर में बवाल मच गया था. इस खबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. अब खबर का बड़ा असर हुआ है. बस्तर यूनिवर्सिटी ने 6 साल के गैप वाले परीक्षार्थियों को दो साल का अतिरिक्त समय दिया है. ऐसे में हजारों अपात्र छात्रों को बड़ी राहत मिली है.
बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति एसके सिंह का कहना है कि हमने छात्रों को राहत देने की पहल की है. कार्यसमिति की बैठक में इन छात्रों को दो साल तक की अवधि में वृद्धि की है. जिससे छात्रों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. यह समस्या सॉफ्टवेयर के कारण सामने आई थी. जिन विद्यार्थियों को प्रवेश के समय ही ब्लाॅक करना था, वह साफ्टवेयर के जरिए नहीं हो पाया. बहरहाल हमने समस्या का निदान छात्र हित में कर लिया है. कोरोना के चलते इन छात्रों को दो साल की छूट भी दी गई है.
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दरअसल अकेले शासकीय गुण्डाधूर स्नातकोत्तर महाविद्यालय के 500 छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया था. कॉलेज ने इन छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए अग्योय घोषित कर दिया था. प्राचार्य ने परीक्षा से पहले यूजीसी नियम का हवाला दिया था. छात्रों को अंतिम वर्ष के बजाय पहले वर्ष परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जा रहा था. ऐसे ही हजारों छात्र परीक्षा से वंचित हो रहे थे. जिन्हें अब राहत मिली है.
बता दें कि इस मुद्दे को बस्तर के सभी विधायकों ने भी एक स्वर उठाया था. उन्होंने समस्या के निवारण की मांग की थी. स्टूडेंटस ने भी परीक्षा हमारा अधिकार नाम से जबरदस्त कैंपेनिंग किया था. पहले से बस्तर यूनिवर्सिटी ने अपात्र घोषित किए गए परीक्षार्थियों की शुल्क वापस करने की पहल की थी. आज विश्वविद्यालय ने छात्र हित में फैसला लेते हुए अपनी कार्यसमिति की बैठक कर अपात्र घोषित किए गए छात्रों को न सिर्फ परीक्षा में बैठने की अनुमति दी, बल्कि दो साल की समय सीमा भी दी है. जिससे छात्र यूनियन्स और पूरी छात्रों में हर्ष की लहर है.
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