रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में साहित्य एवं भाषा-अध्ययनशाल विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन गुरुवार को हो गया. ‘हिंदी साहित्य एवं गाँधीवाद’ पर आयोजित इस संगोष्ठी के समापन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व शिक्षामंत्री सत्यनारायण शर्मा शामिल हुए. इस मौके पर सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि गाँधी का साहित्य, समाज का साहित्य है, गाँधी दर्शन में जीवन मूल्यों का आधार है. 150वीं जयंती के मौके पर आयोजित इस संगोष्ठी में जो विचार शिक्षाविदों की ओर आए हैं उनके मायने अहम हैं. गाँधी के विचारों को आत्मसात कर उसे जीने की कोशिश भी हमें करना होगा. गाँधी को सिर्फ भारतीय आज़ादी के महानायक के तौर ही नहीं, बल्कि भारतीय ग्रामीण समाज के जननायक के रूप में हमें देखना चाहिए. वर्तमान समय में गाँधी को अधिक से पढ़ाने, बताने और समझने-समझाने की जरूरत है.

समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति केएल वर्मा ने कहा, कि विश्वविद्यालय की ओर से हम ऐसे कार्यक्रमों को लेकर सदैव प्रयासरत्क रहेंगे. हमारी कोशिश यह है कि नई पीढ़ी तक गाँधी के विचार समग्र रूप में पहुँचे. हिंदी साहित्य ही नहीं समग्र साहित्य में गाँधी की अपनी महत्ता है. विशिष्ट अतिथि के तौर पर कोलकत्ता से प्रो. अरुण होता शामिल हुए. उन्होंने भी यह स्पष्ट कहा कि गाँधी हर पीढ़ी के लिए जरूरी है. हर स्तर के पाठ्यक्रमों में गाँधी को पढ़ने और पढ़ाने की जरूरत है. समारोह की आयोजक डॉ. शैल शर्मा ने कहा कि हम इसी तरह से आगे भी आयोजन करते रहेंगे. इस आयोजन से हमें गाँधी के अनेक विचारों को जानने का अवसर मिला है. आगे भी विभिन्न राज्यों के विद्वानों को बुलाकर व्याख्यान और संगोष्ठियों का आयोजन करते रहेंगे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरोज चक्रधर और आभार डॉ. मधुलता बारा ने किया. समापन मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर, पूर्व आईएएस सुशील त्रिवेदी, इतिहासकार रमेन्द्रनाथ मिश्र, प्रो. राजेश दुबे, प्रो, स्मिता शर्मा, प्रो. गिरजाशंकर गौतम सहित बड़ी संख्या में प्राध्यपकगण, शोधार्थी और छात्र-छात्राएँ मौजूद रहें.