नासिर हकीम, महासमुंद. लगातार गड़बड़ी के आरोप सामने आने के बाद भी महासमुंद में पदस्थ बीईओ पीके शर्मा पर कार्रवाई नहीं हो रहा है. शर्मा चार साल में तीन बार संस्पेंड हो चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी उनमें कोई सुधार नहीं आया है. अब उनके द्वारा एक नए फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया जा रहा है. शर्मा ने शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए खुद नया आदेश जारी कर स्कूल में पढ़ाने वाले तीन शिक्षकर्मियों को अपने दफ्तर में सालभर से अटैच कर रखा है. दूसरी ओर बचने के लिए डीईओ दफ्तर का आदेश बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि डीईओ ने साफ तौर पर कह दिया है कि हमने इस तरह का आदेश नहीं निकाला है. बीईओ मनमानी करते हुए नियम-कायदे को ताक में रख मनमर्जी कर रहे हैं.
इन स्कूलों के शिक्षक हैं अटैच
अछोला, बेमचा तथा रायतुम के प्रतिभा साहू, विनय कुमार योगी और दिव्यांश वानी को अगस्त 2017 से अपने कार्यालय में अटैच कर रखा है. बकायदा इन स्कूलों के शिक्षक द्वारा स्कूल में रखे पाठकान में उपस्थिति हस्ताक्षर भी लगवाया जा रहा है.
बीईओ करा रहें जबरदस्ती काम
इन स्कूलों के प्रधानपाठक ने बताया कि बीईओं यह काम उनसे जबरदस्ती करवाया रहे है. यहां तक इन स्कूलों के प्रधानपाठक द्वारा शिक्षकों के उपस्थिति के जगह में बीईओ अटैच लिख दिए जाने से शर्मा ने प्रधानपाठकों की भी क्लास लगा दी थी. यहीं नहीं प्रधानपाठक द्वारा लिखे गए अटैच शब्द को जबरदस्ती हटवाया गया.
प्रशासन के निरीक्षण के दौरान हटा दिया गया
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कलेक्टर और विभाग द्वारा औचक निरीक्षण के दौरान बीईओ ने कार्यरत शिक्षक के नाम को विलुप्त कर दिया था.
इन मामलों में पीके शर्मा हो चुके हैं संस्पेंड
रायगढ़ में पदस्थ बीईओ पीके शर्मा पर 8.50 लाख रुपए गबन करने का आरोप लगा था, जिसके लिए उन्हें संस्पेंड किया गया. सराईपाली में जब पदस्थ थे, तो वहां भी भ्रष्ट्राचार और अनियमितता के लिए संस्पेंड हो चुके है. वर्तमान में जहां पदस्थ हैं, वहां महासमुंद के शिक्षाकर्मियों ने वेतन दिलाने के लिए 500 रुपए लेने का आरोप लगाया था, जिसके लिए उन्हें संस्पेंड कर दिया गया था.
उच्चअफसरों की मिलीभगत से कई सवाल
बार-बार एक ही अधिकारी को अनियमितता को लेकर संस्पेंड किया जाता है और उन्हें पुन:बहाल कर दिया जाता है. 25/55 नियम के अनुसार किसी आईएस हो या कर्मचारी संस्पेंड होते हैं तो उन्हें सेवा से पृथक किया जाना है. महासमुंद में जब शर्मा पदस्थ थे तो अफसरों ने संस्पेंड तो कर दिया लेकिन 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाए इसलिए स्वत: बहाल हो गए