प्रतीक चौहान. रायपुर. रायपुर रेल मंडल में रेलवे ने सीनियर डीसीएम का चेंबर बड़ा करने के लिए जनसंपर्क विभाग का कमरा खाली कर उन्हें बाहर कर दिया है. अब डीआरएम ऑफिस में आलम ये है कि यदि जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों से मिलने पत्रकार जाएंगे तो उनके बैठने की कोई व्यवस्था वहां मौजूद नहीं है. ये सब रेलवे ने महज इसलिए किया है कि वहां वे सीनियर डीसीएम का चेंबर बड़ा कर सके.

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम 6 जून को सुबह 9.29 बजे डीआरएम ऑफिस पहुंची तो पता चला कि सीनियर डीसीएम के चेंबर के बाजू में जो टेंडर सेल (गोपनीय शाखा) था उसे जनसंपर्क विभाग में शिफ्ट कर दिया गया है. हालांकि सीनियर डीसीएम के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. टेंडर सेल खाली क्यों करवाया गया है और जनसंपर्क विभाग को कौन सा कमरा अलॉट होगा इसको लेकर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा. उनका कहना था कि रेलवे के ऑफिस में कोई भी शिफ्टिंग कराने और कमरा खाली करने का काम पब्लिक से जुड़ा हुआ नहीं है. इसलिए इसे कोई बड़ा मुद्दा न बनाया जाएं.

क्या कहते है पत्रकार

रेलवे की जैसी ये हालत होती जा रही हैं, आम यात्री परेशान है. उसमें मीडिया ही कुछ सवाल उठा सकता है. मीडिया ही जनता की परेशानियों को सामने रख सकता है. ऐसे में इसे मीडिया को रेलवे से दूर रखने की कोशिश की तरह ही देखा जाएगा. इस तरह की प्रवृत्ति कोई सार्वजनिक क्षेत्र में मीडिया से दूरी बनाएं यह स्वस्थ्य स्थिति नहीं है.

रूचिर गर्ग, वरिष्ठ पत्रकार

पत्रकारों से सीधे संवाद के लिए ही रेलवे ने जनसंपर्क विभाग बनाया है. संभवतः इसीलिए वर्षों से डीआरएम ऑफिस में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को चेंबर अलॉट किया गया था जहां रेलवे के पब्लिसिटी इंस्पेक्टर और पत्रकारों की बीच संवाद होता था, जो अब नहीं हो सकेगा. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.

मनोज बघेल, एडिटोरियल डायरेक्टर न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम

यदि नई व्यवस्था रेलवे अफसरों के लिए जरूरी है तो जनसंर्पक विभाग के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए.

राजेश जोशी, संपादक, नवभारत

संवाद की जगह जब बिल्कुल सिकुड़ती जा रही है, तो ऐसे वक्त में स्पेस खत्म होना ये ठीक नहीं है. कई दफा जनसंपर्क अधिकारी और पत्रकार के बीच अलग-अलग मुद्दों पर संवाद रास्ता निकालने वाला साबित होता है. अब यह संवादहीनता खबरों के मामले में मुश्किल पैदा करेगा.

अलोक पुतुल, पत्रकार, BBC

पब्लिक तक रेलवे की बात पहुंचाने के लिए ही रेलवे ने जनसंपर्क विभाग बनाया है. अब यदि डीआरएम ऑफिस पत्रकार जाएगा तो कहा बैठेगा ? और किससे बात करेगा ? पूरे सेटअप में घुमेगा तो रेलवे अधिकारी ही आपत्ति करेंगे. ऐसे में पुरानी व्यवस्था पर रेलवे अधिकारियों को विचार करना चाहिए.

अवधेश मल्लिक, वरिष्ठ पत्रकार

पत्रकारों के लिए पहले से बनी कोई व्यवस्था है तो उसे बिगाड़ा क्यों जा रहा है और उसे खत्म क्यों किया जा रहा है ?  इस संबंध में प्रेस क्लब के तमाम सदस्यों का एक समूह डीआरएम से मुलाकात करेगा और ये व्यवस्था पुनः सुचारू करने का निवेदन करेगा.

प्रफुल्ल ठाकुर, रायपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष