हिंदू धर्म में आम के पेड़ और पत्तों को बहुत ही शुभ माना जाता है, प्राचीन काल से जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है, तो आम के पत्तों को काम में लिया जाता है. वहीं, हवन या यज्ञ करते समय भी आम की लकड़ियों को काम में लिया जाता है. आइए जानते हैं आखिर क्यों आम के पत्तों और लकड़ियों का इतना महत्व है.

कुंडली के शुभ ग्रह अनुकूल स्थितियों में जातक के लिए शुभ समाचार और कुंडली के अशुभ ग्रह या शुभ ग्रहों के प्रतिकूल स्थितियों में होने पर जातक के लिए अशुभ समाचार लेकर आते हैं. इसलिए, ग्रहों के खराब असर से मनुष्यों को सुरक्षित रखने के लिए हमारे दिव्य ऋषि-मुनियों ने ज्योतिष शास्त्र में अनेक ज्योतिषीय उपायों द्वारा कल्याण के रास्ते बताएं हैं.

वैदिक शास्त्रों में वर्णित इन उपायों में भिन्न-भिन्न ग्रहों को बली करने के लिए विशेष रत्नों के साथ-साथ अनिष्टकारी ग्रहों के निराकरण के लिए विशेष मंत्र जाप करने की व्याख्या भी दी है. इसके अलावा, ग्रह शांति के उपाय सामान्यजन सरलता से कर सकें इसके लिए शास्त्रों में जानकारी भी दी गई है. जातक स्वयं इन उपायों को अजमाते हुए ग्रहों के सकारात्मक प्रभावों में बढ़ोत्तरी कर सकता है.

जन्म कुंडली में जब गुरु की उपस्थिति किसी खराब भाव जैसे कि 6-8-12 भाव में हो या फिर नीच राशि में हो तब जातकों पर इसका व्यापक असर देखा गया है. इसका सबसे ज्यादा खराब असर गुरू के धनु या मीन राशि में होने से होता है और धनु या मीन राशि का गुरू राहु जैसे क्रूर ग्रहों से पापाक्रांत हो तो इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव दिखाई देता है. जिसमें विशेषकर अध्ययन में बाधा, सामाजिक प्रतिष्ठा बाधित हो जाता है. इसके अलावा स्वास्थ्य और धन संबंधित तकलीफों का सामना करना पड़ता है. अपनी कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए उसका सम्मान करें.

किसी महापुरुष अथवा बड़ी उमर के किसी गुणीजन को अपना गुरु मान सकते हैं. आप साधु-संत को भी गुरु के पद पर विराजित कर सकते हैं. गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें. पीली मीठी वस्तुओं या फलो का सेवन और दान करें. पीपल या आम के वृक्ष की पूजा कीजिए. गुरु को अधिक बलवान बनाए रखने के लिए ज्योतिषियों की सलाहानुसार पीला पुखराज रत्न धारण किया जा सकता है.

गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित करें. इसके बाद पंचोपचार से पूजा करें. पूजन में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें. पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल), केला आदि.

ये तो गुरू के सामान्य उपाय हैं जो कि करने चाहिए इसके अलावा गुरू के दुष्प्रभाव को कम करने एवं शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए हमारे शास्त्रों में विशेषकर आम के पत्ते, जड़ और फल के उपाय बताये गए हैं.

आम के पत्तों की बंदनवार अगर घर के दरवाजे पर लटकाई जाती है, तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है. घर में सकारात्मक ऊर्जा रहने से वातावरण शुद्ध रहता है और घर में सुख व समृद्धि का वास होता है.

हवन या यज्ञ करते समय आम की लकड़ियों को काम में लिया जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आम की लकड़ियों के धुंए से वायु शुद्ध होती है. जब हवन का धुआं पूरे घर में फैलता है, तो इससे वहां व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो जाता है. जिन घरों में प्रतिदिन आम की लकड़ियों से हवन किया जाता है, उस घर में मां लक्ष्मी अपना स्थाई निवास बना लेती हैं.

धन के लिए

आम के जड़ को प्राप्त कर गुरू के सवा लाख मंत्र जप से सिद्ध किया जाए और फिर उसका तिलक किया जाए तो सम्मानित धन, पैतृक धन, ठगा हुआ धन प्राप्त किया जा सकता है.

दाम्पत्य सुख के लिए

उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में प्राप्त आम के जड़ को शयनकक्ष में रखने से दाम्पत्य जीवन मधुर रहता है और पति पत्नी में कभी मनमुटाव नहीं होता.

पति-पत्नी से मनमुटाव समाप्ति के लिए

आम के जड़ और गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन साथी से लंबे समय से चला आ रहा मनमुटाव समाप्त होता है. तलाक तक आ गयी नौबत भी ईश्वर कृपा से टल जाती है.

सुख समृद्धि के लिए

दीपावली या गुरू प्रदोष व्रत पर इसका पूजन कर तिजोरी में रखने से धन और समृद्धि में दिन दूनी रात चैगुनी तरक्की होती है.

शत्रुओं से विजय के लिए

आम का जड़ धारण करने से व्यक्ति शत्रुओं को परास्त कर देता है और अजेय बन जाता है.