रायपुर. अंधविश्वास, पाखंड व सामाजिक कुरीतियों के निर्मूलन के लिए कार्यरत संस्था अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डाॅ. दिनेश मिश्र ने कहा कि अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति हरेली पर विशेष जनजागरण अभियान चलाएगी, जिसमें जादू-टोने के संबंध में टोनही प्रताड़ना के विरोध में जागरूक करने, टोनही प्रताड़ना के विरोध में शपथ, गांव के निर्जन स्थानों में रात्रिभ्रमण, अंधविश्वास पर पम्पलेट वितरण किया जाएगा. टोनही प्रताड़ना के संबंध में जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए पोस्टर वितरित किए जाएंगे और यह पोस्टर ग्राम पंचायतों व सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा किए जाएंगे. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डाॅ. दिनेश मिश्र ने कहा हरियाली के प्रतीक हरेली अमावस्या की रात को ग्रामीणजनों के मन से टोनही, भूत-प्रेत का खौफ हटाने के लिए समिति भ्रमण कर ग्रामीणजनों से सम्पर्क करेगी.

डाॅ. दिनेश मिश्र ने कहा कि अंचल में हरियाली अमावस्या (हरेली) के संबंध में काफी अलग अलग मान्यताएं हैं. अनेक स्थानों पर इसे जादू-टोने से जोड़कर भी देखा जाता है, कहीं-कहीं यह भी माना जाता है कि इस दिन, रात्रि में विशेष साधना से जादुई सिद्वियां प्राप्त की जाती है, जबकि वास्तव में यह सब परिकल्पनाएं ही हैं. जादू-टोने का कोई अस्तित्व नहीं है और कोई महिला टोनही नहीं होती. पहले जब बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी नहीं थी तब यह विश्वास किया जाता था कि मानव व पशु को होने वाली बीमारियां जादू-टोने से होती है. बुरी नजर लगने से, देखने से लोग बीमार हो जाते हैं और इन्हें बचाव के लिए गांव, घर को तंत्र-मंत्र से बांध देना चाहिए और ऐसे में कई बार विशेष महिलाओं पर जादू-टोना करने का आरोप लग जाता है.

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वास्तव में सावन माह में बरसात होने से वातावरण का तापमान अनियमित रहता है. उसम, नमी के कारण बीमारियों को फैलाने वाले कारकों बैक्टीरिया व कीटाणु अनुकूल वातावरण पाकर काफी बढ़ जाते हैं. गंदगी, प्रदूषित पीने के पानी, भोज्य पदार्थ के दूषित होने, मक्खियां, मच्छरो के बढने से बीमारियां एकदम से बढ़ जाती है. जिससे गांव-गांव में आंत्रशोध, पीलिया, वायरल फिवर, मलेरिया के मरीज बढ़ जाते हैं और यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया हो तो पूरी बस्ती ही मौसमी संक्रामक रोगों की शिकार हो जाती है. वहीं हाल फसलों व पशुओं का भी होता है, इन मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पीने का पानी साफ हो, भोज्य पदार्थ दूषित न हो, गंदगी न हो, मक्खिंया, मच्छर न बढ़े, जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां रखने से लोग पशु बीमारियों से बचे रह सकते हैं. इसके लिए किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र से घर, गांव बांधने की आवश्यकता नहीं है. कोरोना और अन्य संक्रमणों से बचाव के लिए साफ-सफाई, सावधानी, मास्क पहिनना, सोशल डिस्टेन्स रखना, बार-बार हाथ धोना अधिक आवश्यक है, इसके बाद यदि कोई व्यक्ति इन बीमारियों से संक्रमित हो तो उसे फौरन चिकित्सकों के पास ले जाये, संर्प दंश व जहरीले कीड़े के काटने पर भी चिकित्सकों के पास पहुंचे.

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डाॅ. मिश्र ने कहा पिछले कुछ वर्षो से यह देखा जा रहा है कि हरेली अमावस्या को दिन में भी बच्चे व कई लोग जादू-टोने व नजर लगने से बचने के लिए नीम की टहनी, साइकिलों, रिक्शे व गाड़ियों में लगातार घूमते दिखाई देते हैं. पालकों व शिक्षकों को बच्चों को ऐसे अंधविश्वास से बचने की सलाह देना चाहिए. नीम की टहनी तोड़-तोड़कर वृक्ष को नुकसान पहुंचाने के बजाय घर के आसपास नीम के पौधे लगाए ताकि वातावरण शुद्ध हो. बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई, पानी को छानकर, उबालकर पीने, प्रदूषित भोजन का उपयोग न करने तथा गंदगी न जमा होने देने जैसी बातों पर लोग ध्यान देंगे और स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहेंगे तो तंत्र-मंत्र से बांधनें की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. बीमारियों खुद-ब-खुद नजदीक नहीं फटकेंगी, मक्खिंया व मच्छर किसी भी कथित तंत्र-मंत्र से अधिक खतरनाक है.

डाॅ. मिश्र ने कहा हरेली अमावस्या पर भी अंधविश्वास, जादू-टोने, टोनही की मान्यता के विरोध में जरूरी चलाया जा रहा ‘‘कोई नारी टोनही नहीं अभियान’’ जारी रहेगा. जिसमें टोनही, भूत-प्रेत का खौफ मिटाने के लिए व भ्रम दूर करने के लिए समिति के सदस्य रात्रि में भ्रमण कर ग्रामीणों से सम्पर्क कर भ्रम व अंधविश्वास दूर कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास करेंगे.

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