दिल्ली. दबे-कुचलों की आवाज को अपनी कलम के जरिए घर-घर तक पहुंचाने वाली लेखिका महाश्वेता देवी का आज जन्मदिन है. अपनी कलम के जरिए गरीब और दबे कुचले आदमी की आवाज को जन जन तक पहुंचाने वाली क्रांतिकारी लेखिका महाश्वेता देवी को उनके जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर श्रद्धासुमन अर्पित किए. 14 जनवरी 1926 को जन्मी महाश्वेता का निधन जुलाई 2016 में लंबी बीमारी के बाद हो गया.

कभी अपनी कलम से सरकारों को हिला देने वाली महाश्वेता को आज उनके जन्मदिन पर लोग अपने अपने तरीके से याद कर रहे हैं. बंगाल की इस लेखिका को देश के विभिन्न हिस्सों मे रहने वाले आदिवासियों औऱ दबे कुचले लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा. सिंगूर और नंदीग्राम में मजदूरों औऱ आदिवासियों के हक के लिए अगर कोई पूरी शिद्दत से खड़ा हुआ तो वो थी बंगाल की ये शेरनी. महाश्वेता जिनके आगे सरकार भी झुक जाया करती थी. आज उस आवाज की कमी देश और दुनिया के तमाम लोग बेहद शिद्दत के साथ महसूस करते हैं. दबे-कुचलों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए जो काम सरकार को करना चाहिए था वो काम एक बुजुर्ग लेखिका कर रही थी. शायद यही वजह रही कि सरकार औऱ सत्ता से कभी उनकी नहीं बनी. एक बार महाश्वेता ने खुद कहा था कि हम अंधेरे के पर्दे के पीछे रह रहे हैं.

झांसीर रानी, अरणेय अधिकार, रुदाली और हजार चौरासी की मां जैसी कालजयी रचना लिखने वाली इस महान लेखिका के कई नावेल पर फिल्मकारों ने फिल्में भी बनाई. जिनमें रुदाली और हजार चौरासी की मां उपन्यास पर बनी फिल्मों को लोगों ने काफी सराहा था. इतना ही नहीं महाश्वेता ने न सिर्फ अपनी कलम से दुनिया में अपनी धाक बनाई बल्कि वे महिलाओं, गरीबों, दलितों के अधिकारों के लिए भी उसी शिद्दत से लड़ती रही जिस शिद्दत से उन्होंने अपनी कलम चलाई.

महिला अधिकारों पर भी उन्होंने जमकर लिखा और ये महाश्वेता की कलम का कमाल था कि उनके लिखे ने कई महिलाओं की जिंदगी बदल दी. महाश्वेता को 1996 में उनके शानदार और गौरवपूर्ण लेखन के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया. इतना ही नहीं पदम श्री, पदम विभूषण, साहित्य अकादमी समेत तमाम पुरस्कारों को महाश्वेता ने गौरवान्वित किया. एशिया के नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले रेमन मैगसेसे पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया.

सिर्फ देश ही नहीं दुनिया में भी महाश्वेता देवी की कलम के प्रशंसक थे. जुलाई 2016 में लंबी बीमारी के बाद महाश्वेता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन वो न सिर्फ हजार चौरासी की मां थी बल्कि हर दबे-कुचले और शोषित को उनमें मां नजर आती थी. यही वजह है कि गूगल ने भी आज इस महान लेखिका के जन्मदिन पर बकायदा डूडल बनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. हमारी तरफ से भी इस महान लेखिका औऱ समाज सेविका को उनके जन्मदिन पर नमन.