नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कथित टूलकिट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. प्रकरण में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, श्रीकृष्णा रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.
हाईकोर्ट के फ़ैसले के विरोध में राज्य सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और श्रीकृष्णा रेड्डी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका को खारिज करने के साथ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा नेता संबित पात्रा की याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में एफआईआर को राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताया और सरकार के लिए यह बताने के लिए कोई मौका नहीं दिया कि प्राथमिकी क्यों दर्ज की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बेंच ने इस पर कहा कि कई राज्यों में बड़ी संख्या में राजनीति से प्रेरित एफआईआर दर्ज की गई हैं, और सुप्रीम कोर्ट ऐसे सभी मामलों से निपट नहीं सकता. अदालत ने अपील पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को याचिका पर फैसला करने दें. राज्य के पास अंतिम फैसले को चुनौती देने का अवसर होगा.
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बता दें कि एनएसयूआई (NSUI) ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ 19 मई को रायपुर में एफआईआर दर्ज कराया था. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 469, 504, 505 (1) (बी) के तहत मामला दर्ज किया था. इस मामले में रायपुर पुलिस ने रमन सिंह से पूछताछ की थी. संबित पात्रा को भी समन जारी किया था.
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मामले में डॉ. रमन सिंह और संबित पात्रा ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं. प्रकरण में दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार व्यास ने 14 जून को टूलकिट मामले में सिंह और पात्रा को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आगे की जांच-पड़ताल पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी.
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