कमिश्नर की स्वास्थ्य महकमे को दो टूक
मामला स्वास्थ्य विभाग से दीगर महकमों में भेजे जाने वाले अफसरों का है। बीते दिनों एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ जिसमें अफसरों की 9 सदस्यीय निरीक्षण टीम को सस्पेंड कर दिया गया। जिस महकमे के कमिश्नर ने सस्पेंड किया उसमें स्वास्थ्य विभाग पर भी टिप्पणी की गई। नोट शीट में उसी भाषा का इस्तेमाल किया गया जो सरकारी तौर पर की जाती है। लेकिन इसके मायने गंभीर निकाले जा रहे हैं। दरअसल, इसमें स्वास्थ्य विभाग को लगभग लताड़ लगाकर कहा गया कि स्वास्थ्य विभाग के अफसर की वजह से उनके महकमे की छवि खराब हो गई है। इन अफसरों ने ग्वालियर इलाके में फर्जीवाड़ा करके अयोग्य कॉलेजों को मान्यता देने की सिफारिश की थी। मान्यता मिल भी गई, लेकिन खोजबीन हुई तो जिम्मेदार अफसर समेत 8 सरकारी प्रिंसिपल भी दोषी निकले। सस्पेंशन ऑर्डर के साथ कमिश्नर की टिप्पणी ने कोरोना काल में चौतरफा तारीफ बटोर रहे स्वास्थ्य विभाग के अमले पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

काबिल अफसरों ने की निगाहें टेढ़ी
बात उन पदों की हो रही है, जो सरकारी सिस्टम में मलाईदार कहे जाते हैं। अब तक यहां काबिलियत ही पोस्टिंग का आधार होती थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में इन पदों पर वे अफसर पदस्थ कर दिए गए हैं, जो इस पद से नीचे के हकदार हैं। यानी संबंधित पदों पर बैठाए गए उन अफसरों की उतनी सीनियरिटी ही नहीं है। धीरे-धीरे ऐसे पोस्टिंग की संख्या एक दर्जन पर पहुंच गई है। यानी इस पद के योग्य अफसर लूप लाइन में है और जूनियर को उन पदों पर बैठाया जा रहा है। सरकारी सिस्टम में ऐसे उदाहरण यदा-कदा और इक्का-दुक्का ही नजर में आते थे। लेकिन अफसरों ने मामले पर चर्चा शुरू की तो लिस्ट वर्तमान में 10 से ऊपर पहुंच गई है। फिलहाल तो काबिल अफसर चर्चा ही कर रहे हैं। लेकिन टेढ़ी निगाहें हैं, वे कसमसा रहे हैं। कहीं कुछ उलटा-पुलटा नहीं कर दें?

अच्छी पोस्टिंग के लिए आका ज़रूरी
पोस्टिंग की बात निकली है तो बता दें कि इन दिनों मनचाही पोस्टिंग के लिए आपकी काबिलियत से ज्यादा आपके आका की काबिलियत ज्यादा जोर मार रही है। दरअसल, बीते दिनों कई ट्रांसफर-पोस्टिंग ऐसी हो गई जिसमें बड़े अफसरों के दफ्तर में काम करने वाले सीधे मलाईदार और क्रीम जगहों पर पोस्टिंग हो गई। जाहिर है ताकत आका ने लगाई थी। कई मंत्री के ओएसडी रहे अफसर चमकदार जगहों पर पहुंच गए हैं। कई बड़े अफसरों के दफ्तर में काम करने वाले अफसर भी सीधे फील्ड की दमदार पोस्ट पर दिखाई दे रहे हैं। बड़े और दिग्गज अफसर और नेता अपने खास को मनचाही पोस्टिंग दिलाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में अफसरों की योग्यता नजरअंदाज भी हो रही है।

यहां बैठने वाला तुरंत करता है वापसी की तैयारी
मंत्रालय में सरकार के एक महकमे में लगातार फर्जी नियुक्तियों के मामले सामने आ रहे हैं। ये फर्जी नियुक्तियां एक-एक करके निकल रही है। धीरे-धीरे आंकड़ा बढ़कर 70 तक पहुंच गया है। यानी अब तक 70 कर्मचारियों की पहचान फर्जी नियुक्ति के रूप में हो चुकी है और जांच कर उन्हें बाहर किया जा रहा है। क्लर्क स्तर के ये कर्मचारी जिलों में तैनात थे और तबादला सूची के जरिए सरकारी सिस्टम में घुस गए थे। 2003 के बाद जो ट्रांसफर ऑर्डर जारी किए जाते थे, उनमें नया नाम जोड़कर लिस्ट को लंबी कर दिया जाता था। इसी तबादला आदेश के जरिए फर्जी नियुक्तियां हो जाती थीं। लेकिन एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली यानी IFMS के बाद इन फर्जी नियुक्तियों के खुलासे हो रहे हैं। मंत्रालय के रिकॉर्ड में कर्मचारी का कोड नदारद मिलने पर ये खुलासा हो रहा है। खुलासे की नौबत भी तब आती है, जब कर्मचारी का तबादला होता है। इसलिए लगातार ये नाम सामने आ रहे हैं। धीरे-धीरे ये घोटाला बड़ा रूप लेता जा रहा है, लेकिन सिस्टम में अब तक ये खुलासा नहीं हुआ है कि ये फर्जीवाड़ा किसने किया। अब विभाग में जो भी आला अफसर आता है। फर्जीवाड़े के बारे में जानकर उसके कान खड़े हो जाते हैं। हालत ये है कि जिम्मेदार टेबल पर बैठने वाला अफसर तुरंत रवानगी की तैयारी करने लगता है। यदि ये फर्जीवाड़ा खुला तो धमाके की आवाज़ व्यापमं से कम नहीं होगी, फिर व्यापमं से जुड़े अफसरों का हश्र तो मंत्रालय के अफसर जानते ही हैं।

एक विधायक को अपने भविष्य की चिंता
एमपी में सरकार जाने के बाद कांग्रेस ने मौजूदा हालातों में एडजस्ट कर लिया है। लेकिन पंजाब और छत्तीसगढ़ की हलचल और दिल्ली के नेताओं के आलाकमान के बारे में बयानबाज़ी कांग्रेस के युवा विधायकों के दिल की धड़कनें बढ़ा देती हैं। अक्सर युवा नेताओं में ये चर्चा छिड़ जाती है कि कांग्रेस का भविष्य कैसा होगा? इन चर्चाओं से सकपकाए एक युवा विधायक ने अपने आला नेताओं तक ये जानकारी साझा को तो हड़कंप जैसे हालात बन गए हैं। समझाइश तो दी गई है कि एमपी में कमल नाथ और दिग्विजय सिंह हैं ,जो सब ठीक कर सकते हैं। लेकिन युवा विधायक के सामने पूरा राजनैतिक करियर पड़ा है। सवाल ये है कि खौफ का ये वायरस यदि युवा विधायक के जरिए दूसरे नेताओं तक पहुंच गया तो क्या होगा? खास तौर पर उस वक्त जब बीजेपी कांग्रेस पार्टी की कमजोर कड़ियों को टटोलने में जुटी है।

‘तिवारी युग’ के लिए त्रिपाठी की ताजपोशी
कांग्रेस ने विंध्य इलाके में युवा नेता के जरिए फिर से विश्वास हासिल करने की कोशिश की है। सफेद शेर कहे जाने वाले श्रीनिवास तिवारी की वजह से कांग्रेस का यहां अपना दबदबा था। तिवारी यहां के ब्राह्मणों के नेता थे। उनके बेटे ने इस विरासत को सहेजने की कोशिश की लेकिन सुंदरलाल तिवारी के निधन के बाद से कांग्रेस यहां नेता की तलाश में थी। कुछ दिन भिंड के दिग्गज चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को यहां भेजा गया। लेकिन अब युवाओं के जरिए ज़मीन वापिस हासिल करने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष इस बार रीवा से बनाया है। विंध्य में इस युवा नेता को पूरी तरह झोंकने की तैयारी है। इस इलाके में कांग्रेस मंजुल त्रिपाठी के जरिए ‘तिवारी युग’ की वापसी के सपने संजो रही है। खबर ये है कि सभी दिग्गज एक साथ मंजुल को सपोर्ट करेंगे।

दुमछल्ला…
मंत्रालय में सत्ताधारी दल के एक विधायक ऑटो से क्या पहुंच गए, सुरक्षा कर्मियों ने उनकी फजीहत कर दी। विधायक को रोक दिया गया। सुरक्षा दस्ते ने चेहरे से पहचान को नकारते हुए परिचय पत्र दिखाने की मांग की। बदकिस्मती से वह भी साथ नहीं था। विधायक ने गुस्से में आम आदमी की तरह एंट्री पास बनवाया और अंदर गए। अंदर जाकर शिकायत भी की। लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)