पंचायत चुनाव का महाराष्ट्र कनेक्शन
‘साफ छिपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं’ ये शेर पंचायत चुनाव को चुनौती देने के मामले में कांग्रेस पर सटीक बैठ रहा है। कांग्रेस ने पंचायत चुनाव के तरीके पर आपत्ति तो जाहिर की है, लेकिन खुद कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से इनकार कर रही है। उधर, कांग्रेस के कुछ दिग्गज कोर्ट में अपनी याचिकाएं दाखिल करके खुलकर बैटिंग कर रहे हैं। देश के दिग्गज वकील जो कांग्रेस के लिए एमपी के हाईकोर्ट में पैरवी करते दिखाई दे रहे थे, उनके सामने अब मुसीबत खड़ी होने लगी है। दरअसल, ऐसी ही एक याचिका महाराष्ट्र के नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है, जिसमें निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने वैसा ही अध्यादेश लाया था, जो एमपी की सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए लाया है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और एमपी के चुनावों से जुड़ी पिटीशनों पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला लिया है तो कांग्रेस के दिग्गज वकीलों की परेशानी बढ़ गई है। वे जब एमपी सरकार का पंचायत चुनाव के लिए लाया गया अध्यादेश रद्द करने की दलील देंगे, तो ये सब महाराष्ट्र सरकार के निकाय वाले अध्यादेश के खिलाफ ही जाएगा। जबकि तैयारी ऐसी थी कि महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो दलील के लिए एमपी के ही दिग्गज वकील खड़े होकर शरद पवार को ताकत दे सकें। अब ये मुमकिन नहीं हो पाएगा। सुना तो ये भी है कि एमपी में बीजेपी सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस के कोर्ट में खुलकर नहीं जाने की वजह भी यही है।

एक और अफसर के संसद जाने का सपना
मध्यप्रदेश के एक बड़े अफसर इन दिनों सांसद बनने के सपने संजोए हैं। खबर है कि एक प्रमुख संभाग के जिम्मेदार पद पर बैठे साहब अब संसद जाना चाहते हैं। इसके लिए वे अपने पारिवारिक बैकग्राउंड को आधार बना कर जोड़ तोड़ करने में जुट गए हैं। महाशय की शिद्दत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजकल उनके काम का अंदाज भी कुछ सियासी सा नजर आता है। साहब के जानने वाले कह रहे हैं कि साहब टिकट को लेकर पूरी तरह से आत्मविश्वास से लबरेज है। हालांकि ये कोई ऐसा पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी दर्जनों ऐसे साहिबान हैं, जिन्होंने सियासत के क्षेत्र में हाथ आजमाया है और अभी भी झंडे गाड़ रहे हैं।

दिल्ली के नेताओं की डिनर डिप्लोमेसी
मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले दिल्ली के बीजेपी नेता इन दिनों खूब डिनर पार्टी करते नजर आ रहे हैं। इन पार्टियों में सांसद, करीबी विधायकों के साथ दिल्ली वाले एमपी के पत्रकारों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। इन नेताओं की डिनर पार्टियों में दिल्ली से ज्यादा एमपी की चर्चाएं होती हैं। पिछले दिनों प्रहलाद पटेल ने डिनर आयोजित करके वाहवाही लूटी थी। अब दूसरे मंत्री और दिग्गज भी सिलसिले के आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि ऐसी पार्टियां कोई नई बात नहीं है, लेकिन देश की बीजेपी सरकारों में हो रहे बदलाव के घटनाक्रमों के मद्देनजर कयासों के सिलसिले शुरू हो रहे हैं। जाहिर है इस तरह की चर्चा इन पार्टियों से ही शुरू होती हैं, फिर चर्चा आगे बढ़कर डिनर के आयोजक के भविष्य की संभावनाओं तक पहुंच जाती हैं। ऐसी पार्टियों के चर्चे एमपी में आजकल खूब हो रहे हैं।

मैडम का बाअदब-बामुलाहिजा होशियार!
बात एक ऐसे दफ्तर की जिसकी मुखिया मैडम के तेवर से पूरा स्टाफ थरथर कांपता है। खास बात यह है कि यहां चाय से ज्यादा केतली गरम है। मैडम का दफ्तर में मूवमेंट होने से पहले ही हालत बाअदब-बामुलाहिजा होशियार सरीखी हो जाती है। मैडम की आमद से पहले दफ्तर के अंदर पूरे रूट पर सब कुछ सुनसान करने की कोशिश होती है। यहां की ‘केतलियां’ इस कदर माहौल बनाने लग जाती हैं कि सारे लोग अंदर ही रहें और मैडम के गुजरने के वक्त खलल नहीं पड़ जाए। रिसेप्शन पर पहुंचने वाले लोगों को भी तितर-बितर करके रास्ता साफ करने की होड़ शुरू हो जाती है। दरअसल, ये मैडम के ऑरा का असर है। मैडम इतनी तेज़ तर्रार है कि गलती मिलने पर तुरंत ही लू उतार देती हैं, इससे बचने के लिए सब कुछ चाकचौबंद किया जाता है। लेकिन इन ‘केतलियों’ की वजह से जैसे ही ‘बाअदब-बामुलाहिजा होशियार’ शुरू होता है तो आगंतुकों से दुर्व्यवहार के साइड इफेक्ट भी होने लग जाते हैं। अहम बात यह है कि इन ‘केतलियों’ के शिकार कई दफा दफ्तर के दूसरे साहिबान भी होने लगे हैं। चंद रोज पहले एक ‘केतली’ को मैडम का संदेश पहुंचाने का बीड़ा सौंपा तो उसने इंटरनेशनल ऑनलाइन मीटिंग में बैठे एक बड़े साहब का लैपटॉप तक हिला दिया था। दफ्तर की अहमियत कोविड के दौरान काफी अहम है और इसे हाल ही में अपनी नयी बिल्डिंग मिली है।

प्रेजेंटेशन के लिए मंत्री-अफसरों की माथापच्ची
सीएम शिवराज ने मंत्रियों को इशारा किया है कि जल्द ही भोपाल से बाहर बैठकर मंथन किया जाएगा। ऐसा मंथन जब भी हुआ है, मंत्रियों के कामकाज की रैंकिंग की गयी है। परफॉर्मेंस को लेकर बात होती है तो तारीफ के साथ विनम्र खिंचाई की भी पूरी संभावना बनी रहती है। जनवरी में संभावित इस मंथन में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों की आहट का असर दिखाई देगा। जाहिर है परफॉर्मेंस गड़बड़ निकली तो डैमेज कंट्रोल के लिए मंत्रिमंडल पुनर्गठन की संभावनाएं भी बन जाएंगी। ऐसे में ये मंथन काफी अहम हो गया है, सीएम से इशारा मिलते ही मंत्रियों ने प्रेजेंटेशन देने का काम शुरू कर दिया है। खास बात ये है कि सरकार के अस्तित्व में आने या मंत्री बनने के बाद ज्यादातर मंत्रियों को काम करने का मौका ही नहीं मिला। पूरा वक्त कोविड की दूसरी लहर ने छीन लिया। अब विभाग की उपलब्धियां बताएं तो क्या बताएं। टॉप सीक्रेट ये है कि कई मंत्री अफसरों से बैठकर अपनी उपलब्धियों की तलाश कर रहे हैं।

दुमछल्ला…
राज्य सिविल और पुलिस सेवा के अफसरों के लिए साल का आखिरी महीना खुशखबरी दे रहा है। राज्य प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसरों के आईएएस और आईपीएस के पदों पर प्रमोशन के लिए होने वाली डीपीसी की बैठक तय हो गई है। 20 दिसंबर को ये बैठक भोपाल में ही होना तय हो गया है। इसके लिए यूपीएससी के चेयरमेन की रजामंदी मिल गई है। ये प्रक्रिया जनवरी-फरवरी से लेटलतीफी का शिकार हो रही है। लेकिन फाइनल बैठक इसी महीने हो रही है। एमपी में आईएएस के 18 पदों के लिए राप्रसे के 54 अफसर कतार में है और आईपीएस के 11 पदों के लिए 33 अफसरों के नाम पर विचार होगा।मध्य प्रदेश ने यूपीएससी के साथ बैठक के लिए दो महीने से तारीख का इंतजार कर रहा था।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)