जांच शराब की, मिले कागजातों के पुलिंदे
बात न्यू इयर ईव की है। भोपाल के चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस शराबखोरों की धमाचौकड़ी रोकने के लिए तैनात थी। रोका-टोकी भी की जा रही थी और कार की डिग्गी में तांक-झांक कर शराब की बोतलें पकड़ी जा रही थी। इसी तरह की जांच कार्यवाही में एक कार ने पुलिस जवानों को सिर खुजलाने पर मजबूर कर दिया। कार में पेटियां मिलीं, शक हुआ कि शराब होगी। लेकिन शराब की बजाय निकले कागजातों के पुलिंदे। बड़ी तादाद में कई फाइलें रखी होने से शक होना लाजिमी था। फौरन ऊपर के अफसरों को खबर की गई। लेकिन तपाक से कार के ड्राइवर ने अपने मालिक को मोबाइल लगाकर धरपकड़ अमले को पकड़ा दिया। जिस साहब से बात कराई गई तो कार तुरंत ही छोड़ दी गईं। कागजातों का राज हम खोल देते हैं। ये सारे कागजात आमदनी और कारोबार से जुड़े थे। पिछले दिनों भोपाल में एक बड़े बिल्डर पर सीबीआई की छापेमारी की भनक पड़ने के बाद ये सारे पेपर्स सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाए जा रहे थे। बता दें कि जहां छापा पड़ा कागजात उससे जुड़े नहीं थे, बल्कि पूर्व में सुर्खियों में रहे किसी दूसरे बड़े खनन कारोबारी के थे। ये खनन कारोबारी अब सुकून की जिंदगी जी रहे हैं।

सरकारी बंगलों पर खुफिया नजर
मंत्रियों के बंगलों पर बीते कुछ दिनों से खुफिया पुलिस की आमदरफ्त देखी जा रही है। ये खुफिया पुलिस सरकारी काम का आवेदन लेकर मंत्रियों के बंगलों पर पहुंच रहे हैं। यहां काम करने वाले एक-एक स्टाफ की पूरी जानकारी ली जा रही है। लगभग हर मंत्री के बंगले पर अलग-अलग तरह से नजर रखी जा रही है। इस बात का खास ख्याल रखा जा रहा है कि मंत्री के स्टाफ को तनिक भर भी जानकारी नहीं लगे। पूरा काम बेहद गोपनीय ढंग से किया जा रहा है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि राज्य की किसी एजेंसी से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि रिपोर्ट सीधे दिल्ली पहुंचाई जा रही है। शक इस बात का है कि मंत्रियों के बंगलों पर ऐसा क्या हो रहा है, जिसकी निगहबानी दिल्ली ने शुरू कर दी है। यदि रिपोर्ट तैयार की भी जा रही है तो इसका क्या इस्तेमाल किया जाएगा।

सिंधिया समर्थक की खरी-खोटी
सिंधिया की इमेज पर कोई भी प्रहार करे ये बात कोई भी सिंधिया समर्थक को गंवारा नहीं होती है। पिछले दिनों एक सिंधिया समर्थक ने ये बात एक बार फिर जाहिर कर दी। गुना के एक जिम्मेदार और बड़े बीजेपी नेता ने सिंधिया के खिलाफ बयान देकर सनसनी फैलाई तो पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं हुई। इस युवा सिंधिया समर्थक से सहन नहीं हुआ तो उस बीजेपी नेता के खिलाफ बयान जारी कर दिया। बात आई-गई नहीं हुई, पार्टी के एक आला नेता ने इस मामले से युवा सिंधिया समर्थक से जवाब-तलब कर लिया। लेकिन युवा नेता ने तुरंत ही खरी-खरी सुना दी। जवाब दिया गया कि महाराज पर कोई भी कुछ कह देगा और पार्टी की तरफ से कोई बयान जारी नहीं होगा तो जवाब तो देना पड़ेगा ना। ये तेवर ज़रूर पार्टी लाइन से इतर रहे, लेकिन सिंधिया समर्थकों के मामले में पार्टी की शायद अलग ही गाइड लाइन है। फिलहाल मामला खत्म नहीं हुआ है, सिंधिया खेमा ने गुना के उस बीजेपी नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और तीखे पलटवार की तैयारी शुरू कर दी है।

सुबह होने को है, माहौल बनाए रखिए
बात नए डीजीपी के नाम की घोषणा को लेकर है। वैसे, तो तीन नाम चर्चाओं में हैं, लेकिन तय माना जा रहा है कि सुधीर सक्सेना एमपी के अगले डीजीपी होंगे। केंद्र में प्रधानमंत्री सुरक्षा में तैनात सुधीर सक्सेना से इस मामले में रज़ामंदी ले ली गई है, लेकिन सरकार ने अब तक तीन नामों का पैनल केंद्र को नहीं भेजा है। इसी वजह से असमंजस बना हुआ है कि सुधीर सक्सेना को ही अगला डीजीपी बनाया जाएगा या नहीं। देरी से सीनियर ऑफिशियल्स के दिलों में भी खलबली मची हुई है, वे सभी अपनी गोटियां भी नहीं बैठा पा रहे हैं। इधर सरकार की तरफ से पैनल भेजने में हो रही देरी कई आशंकाएं पैदा कर रही हैं। चर्चाएं हैं कि सीधे पीएमओ से जुड़े अफसर को एमपी के नए डीजीपी की कुर्सी दे दी गई तो एमपी के अंदरखाने की सारी खबरें सीधे पीएमओ तक पहुंच सकती हैं। इस वजह से सरकार अपनी इरादा बदल भी सकती है। डीजीपी साहब मार्च में रिटायर हो रहे हैं। कायदे से सरकार को तीन महीने पहले तीन नामों का पैनल भेज देना चाहिए था। इतनी देरी कभी नहीं की जाती है। देरी है तो जाहिर है वजह भी वाजिब होगी। लिहाज़ा तारिक बदायुनी के इस शेर से मामला समझने की कोशिश कीजिए… इक ना इक शम्अ दिल में जलाए रखिए, सुबह होने को है माहौल बनाए रखिए।

ब्रांडेड कल्चर के मोहपाश में नेता
संगठन गढ़े चलो-सुपंथ पर बढ़े चलो का नारा देने वाले संघ से निकले कई कद्दावर नेताओं पर इन दिनों इंटरनेशनल ब्रांडेड कल्चर का प्रेम सिर चढ़ कर बोल रहे हैं। कड़ाके के सर्द मौसम में इन नेताओं को ब्रांडेड कल्चर की गर्मी राहत दे रही है। जैकेट का कौन सा ब्रांड चलन में है ये नेता बखूबी जानते हैं। इनके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर उनकी जैकेट सियासी गलियारों में सुर्खियां बटोर रही हैं। अब तक इंटरनेशनल ब्रांड की कलाई घड़ी, रंगीन चश्मे और गले की चेन कांग्रेसी नेताओं की ही लाइफ स्टाइल का हिस्सा समझे जाते थे। लेकिन बीजेपी में आए कई नेता भी इसी तरह की जीवनशैली को अपनाते जा रहे हैं। हालांकि ये भी बताते चलें कि इसी तरह की ब्रांडेड कल्चर, हाईटेक गैजेट्स और हाई फाई लाइफ स्टाइल के कारण संघ के एक नेता को जिम्मेदारी से चलता कर दिया गया है। प्रचारक श्रेणी के ये नेता कभी इकोनॉमी क्लास में सफर नहीं करते थे, हमेशा एग्जीक्यूटिव क्लास की टिकट बुक की जाती थी। खबर संघ तक पहुंची तो नप गए। कहीं इसी श्रेणी के दूसरे नेताओं की खबर संघ के जिम्मेदार लोगों तक नहीं पहुंच जाए।

गंभीर संकट में प्रखर नेता का परिवार
एक दिवंगत कांग्रेसी नेता का परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। दिवंगत नेता को कांग्रेस के प्रखर प्रवक्ता के रूप में जाना जाता था। कोविड की दूसरी लहर में इलाज के दौरान प्रखर प्रवक्ता का दुखद निधन हो गया था। इसके बाद उनके परिवार पर दुखों पर पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार में जीवन यापन को कोई ज़रिया नहीं है। दिवंगत नेता ने अपना पूरा जीवन पार्टी में लगा दिया। लेकिन अब पार्टी में ही उनका कोई नामलेवा नहीं बचा है। परिवार के लोगों ने पिछले दिनों पीसीसी पहुंचकर अपनी पीड़ा जाहिर की थी, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं पहुंची है। सुना है परिवार दर-दर जाकर अपनी पीड़ा बयान कर रहा है। इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझते हुए इस परिवार के प्रति कांग्रेस के नेता सहानुभूति तो भरपूर जता रहे हैं। लेकिन मदद का कोई उम्मीद अब तक नजर नहीं आई है।

दुमछल्ला…
माइनिंग डिपार्टमेंट में हमेशा क्रीम पोस्ट पर रहे एक कद्दावर अफसर की बीते पखवाड़े हुई अचानक मौत का राज जानने में किसी को दिलचस्पी नहीं रह गई है। साहब किसी से मुलाकात करने के लिए निकले थे, लेकिन अचानक मौत की खबर आ गई। मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई गई। लेकिन हैरानी की बात है कि अचानक हुई मौत की वजह जानने में कोई करीबी दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहा है। कुछ करीबी लोग दाल में काले की आशंका जाहिर भी कर रहे हैं। दिवंगत साहब के बारे में बता दें कि सरकारें आती-जाती रहीं, लेकिन साहब की क्रीम पोस्ट हमेशा बनी रही। उनकी लाइफ स्टाइल हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)