नई दिल्ली। समुद्र से उठने वाली प्रलयकारी तूफान ‘ताऊ ते’, ‘यास’, ‘निसर्ग’ का असर झकझोर देता है. इस तरह से समुद्री तूफानों की तीव्रता के बारे में हमने पहले कभी सोचा नहीं था, लेकिन नासा की मानें तो यह शुरुआत ही है. आने वाले सालों में इससे भी भयंकर विनाशकारी तूफान आएंगे, जिनसे जान-माल की बड़ी हानि उठानी पड़ेगी. और यह सब चंद्रमा की कक्षा में बदलाव की वजह से होगा.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने ताजा अध्ययन में दावा किया है कि चांद की कक्षा में बदलाव होने की वजह से धरती पर सीधा असर पड़ेगा, और यहां 2030 में ‘उपद्रवी बाढ़’ आएगा. अध्ययन में कहा गया है कि तटीय इलाकों में समुद्र की लहरें अपनी सामान्य ऊंचाई के मुकाबले तीन से चार फीट ऊंची उठेंगी और ये सिलसिला एक दशक तक जारी रहेगा. अध्ययन में कहा गया है कि बाढ़ की ये स्थिति पूरे साल में नियमित तौर पर नहीं रहेगी. सिर्फ कुछ महीनों के दरम्यान ये पूरी स्थिति बनेगी, जिससे इसका खतरा और बढ़ जाएगा.

नासा के प्रशासक बिल नेल्सन कहते हैं कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है. बार-बार बाढ़ आने से लोगों की मुश्किलें भी बढ़ रही हैं और ये मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि अपनी कक्षा में चांद के जगह बदलने से गुरुत्वीय खिंचाव, बढ़ता समुद्रीय जलस्तर और जलवायु परिवर्तन एक साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर तटीय इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा करेंगे, जिसके चलते भारी तबाही आ सकती है.

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यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई में असिस्टेंट प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक फिल थॉम्पसन कहते हैं कि चांद जब अपनी कक्षा में डगमगाता है, तो इसे पूरा होने में 18.6 साल का वक्त लगता है. इसमें से आधे समय तक यानी तकरीबन 9 साल तक पृथ्वी पर समुद्र में सामान्य टाइड का उठना कम हो जाता है. वहीं अगले 9 साल तक इसका उल्टा होता है. यह चक्र अगली बार 2030 के आसपास बनेगा, जिससे सामान्य जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होगी.

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