रायपुर। नगरनार में निर्माणाधीन इस्पात संयत्र को एनएमडीसी से डीमर्ज या अलग करने का अर्थ याने इस संयंत्र का निजीकरण करना है. केंद्र सरकार के नगरनार को निजीकृत करने के निर्णय का तीव्र विरोध करते हुए ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे वापस लेने की मांग करते हुए इस सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव का स्वागत किया है.

इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, एटक के महासचिव हरनाथ सिंह, एच एम एस के कार्यकारी अध्यक्ष एच एस मिश्रा, सीटू के राज्य अध्यक्ष बी सान्याल, महासचिव एम् के नंदी, एक्टू के महासचिव बृजेंद्र तिवारी, सी जेड आई ई ए के महासचिव धर्मराज महापात्र, बी एस एन एल ई यू के भट्ट, बैंक कर्मी नेता शिरीष नलगुंडवार, डी के सरकार तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के अध्यक्ष राकेश साहू, केंद्रीय कर्म संगठन के सतीश, आशुतोष सिंह, दिनेश पटेल, मानिक राम पुराम, राजेंद्र सिंह, एस टी यू सी के सचिव एस सी भट्टाचार्य, बीमा कर्म नेता सुरेन्द्र शर्मा ने केंद्र सरकार से इस फैसले को आदिवासियों व देश के जनता के साथ धोखा करार दिया और इस फ़ैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के समस्त ट्रेड यूनियन ने भी नगरनार संयत्र के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक हाल ही में प्रदेशव्यापी विरोध सप्ताह मनाकर सभी जिलों में प्रदर्शन किया था और इसके निजीकरण के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रेषित किया था. जनता के भारी विरोध को अनसुना कर केंद्र सरकार ने केबिनेट बैठक में इसे डिमर्ज करने का फैसला लिया जिसके खिलाफ सभी ट्रेड यूनियन के साथी वहां निरन्तर संघर्ष जारी रखे है. 22 नवम्बर को भी ट्रेड यूनियनों ने वहां बड़ी विरोध कार्यवाही आयोजित की थी. 26 नवम्बर की देशव्यापी हड़ताल में भी प्रदेश के मजदूर वर्ग ने नगरनार के निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद की थी.

ट्रेड यूनियन नेताओं ने प्रदेश की विधानसभा में इस पर पारित सर्व सम्मत प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को निश्चय ही इस पर अपने कदम वापस लेना चाहिए.

नेताओं ने कहा कि आदिवासियों की जमीन पर आम जनता के पैसे से निर्मित इस संपत्ति को केंद्र सरकार द्वारा एनएमडीसी की बजाय निजी हाथों में सौंपने के किसी भी प्रयास को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

गौरतलब है कि नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएमडीसी) के द्वारा जगदलपुर के समीप ग्राम नगरनार में निर्माणाधीन 3 बिलियन टंन के वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले स्टील प्लांट का कार्य औपचारिक रूप से 2001 भूमि अधिग्रहण से प्रारंभ हुआ था. जिसके लिए एक हजार एकड़ जमीन अधिकृत की गई थी, जिसमें राज्य सरकार के साथ ही आदिवासियों की जमीन शामिल है और 2012 से उसका निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था जो वर्तमान में अपने अंतिम चरण में है.

नगरनार प्लांट के लिए एनएमडीसी के द्वारा स्वयं का 20,000 करोड़ रुपया खर्चा किया गया है. किसी प्रकार से कहीं से भी कोई कर्ज नहीं लिया गया है. इसके भविष्य के बारे में राज्य सरकार से भी कोई सलाह नहीं ली गई, जबकि इसमें राज्य सरकार की भी भागीदारी है, यह संविधान के तहत संघीय व्यवस्था का भी भी खुला उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की सम्पत्ति पर निर्मित इस कारखाने को निजी लूट के लिए बेचने की तैयारी हो रही है , जिसका प्रदेश के मजदूर वर्ग जोरदार विरोध करेंगे.