रायपुर। हरेली त पूरा देस भर अलग-अलग रंग-रूप, रीति-नीति अउ परंपरा ले मनाय जथे. फेर हमर छत्तीसगढ़ म हरियर हरेली तिहार के परंपरा बड़ खास हे. हरियर छत्तीसगढ़ के चारो कोना सावन के महीना म अउ जियादा हरिया जाय रथे. अइसे लगथे जइसे हरेली तिहार छत्तीसगढ़ महतारी के पूरा सिंगार करके सावन महीना के अमावस के दिन आथे. इही पाय के सावन महीना म पूरा छत्तीसगढ़ खेती-खार संग चारो-मुड़ा हरियर-हरियर नजर आथे. नदिया-नरवामन म पुरा अउ डबरा-डबरी-तरिया पानी ले लबालब हो जाथे. नागर-जांगर के बुता संग रोपा-बियासी घलोक हो जथे. किसानमन ह खेती-खार म उपयोग म होने वाला सब औजार के पूजा करके प्रकृति के अभार जताथे अउ उत्सव मनाथे.

अमावस के दिन
अंधियारी पाख(कृष्ण पक्ष) के अमावस के दिन हरेली तिहार मनाय जथे. सावन महीना के अमावस ल गाँव-गँवई पर बड़ खास माने जथे. इही पाय के ये दिन बिसेस पूजा-अरचना घलोक होथे. टोना-टोटका ले बचाव के उदिम ये दिन करे जथे. जेखर ले घर-दुवार, गाँव-गँवई सब बने-बने रहय, सुरक्छित रहय.
नीम डारा अउ खीला
हरेली के दिन नीम डारा खोंचे अउ खीला ठोंके(गड़ाय) के घलोक परंपरा हे. राउत(पहटियामन) घरो-घर जाके नीम के डारा घर के दुवारी म खोंचते अउ भगवान सब बने-बने रहय के बिनती करथें. नीम डारा के संग-संगे खीला या लोहा के कुछू भी समान चौखट म ठोंके या घर दुवारी म गड़ाय के घलोक परंपरा हे. कथे जथे ये के सब ले घर अउ मनखेमन ऊपर कोनो जादू-टोना-टोका के असर नइ होवय, बुरा नजर नइ लगय.

औजारमन के पूजा
हरेली परब म परमुख रूप ले खेती-खार म उपयोग होने वाला औजारमन के पूजा करे जथे. तुलसी चौरा मेर सब औजार(कृषि यंत्र) ल धो-धा के रख जथे. अउ पूरा बिधी-बिधान संग पूजा करे के बाद गुड़ चीला अउ गुलगुल भजिया के भोग लगाय जथे. अइसे माने जथे हरेली के दिन खेत मन जोताई, रोपाई अउ बियासी के सब बुता हो जाय रथे.

गेड़ी के परंपरा
हरेली म गेड़ी चढ़े के घलोक बड़ जुन्ना परंपरा हे. लइकामन बिसेस रूप गेड़ी के लगाव देखे बर मिलथे. बड़े उमर के मनखे घलोक कई-कई फीट ऊँच गेड़ी म चढ़थें. कतको जगह गेड़ी दउँड़ प्रतियोगिता के घलोक आयोजन होथे. मोला सुरता हे लइकइ म मैं खूब गेड़ी दौंड़ाएव हव. 90 के दसक हमन हरेली तिहार के पहिली गेड़ी बनवा के रख लेवत रहेन. फेर गेड़ी के पउवाँ(पाया) म माटी डाल दन. जेखर ले गेड़ी चढ़त मच-मच के अवाज आवय. गेड़ी धर फेर चिखला-माटी वाले जगह म जावन.
खेल-कूद के परंपरा
हरेली तिहार कई ठिन खेल खेले के परंपरा हे. टूरा पीलामन जइसे गेड़ी चढ़ते, दउँड़ाथें. वइसनेहे नोनी फुगड़ी खेलथें. घानी-मुनी खेलथें. ये सब खेल के बीच एक अउ खेल हरेली म बड़ परसिद्ध हे. ये खेल हे नरियर फेंके के. हरेली म नरियर फेंक प्रतियोगिता कतको गाँव म आजो देखें बर मिल जथे. नरियर 100 मीटर, 200 मीटर, 500 मीटर लेके 1-2 किलोमीटर तक तीन बार-चार बार म फेंके सरत लगथे. मोला सुरता लइकइ महूँ अइसन सरत अपन संगवारीमन संग लगावत रहेव. ये खेल के संग-संग आँखी म पट्टी बांध के करसी ल फोड़े के, कोनो जिनिस म निसाना लगाय के घलोक खेले जथे.

आधुनिकता के रंग
हरेली तिहार के परंपरा म समय के संग अब आधुनिकता के रंग घलोक घुलत-मिलत जावत हे. छत्तीसगढ़ अब हमर हरेली तिहार गाँव-गाँव के उत्सव ले निकल के बड़का सहर म इवेंट के रूप लेवत जावत हे. जब ले हरेली तिहार मुख्यमंत्री निवास म मनाय के सुरुवात होय हे, तब ले हरेली तिहार सहरियामन के घलोक गेड़ी चढ़े, नाचे-गाये अउ छत्तीसगढ़ी खान-पान ल बनाय चुरोय, खाय-पीये के परंपरा बनगे हे. गाँव ले सहर आए के बाद गाँव-गँवई के तीज-तिहार परंपरा ल जेन छत्तीसगढ़ियामन भुला गे रहिन उमन घलोक अब हरियर हरेली के रंग रंगे नजर आवत हें. भले उँखर बर हरेली पारंपरि तिहार ले कहूँ आगू इवेंट बनगे अउ आधुनिकता सामिल होगे हे. फेर हरेली तिहार बगरे लग गे हे. हरेली तिहार सरकारी छुट्टी मिले के बाद लोक परब के रास्ट्रीय महत्ता घलोक बाढ़े हे.
आज हमर हरियर हरेली के पारंपरिक तिहार आधुनिकता के रंग म समा के उत्सव ले महोत्सव के रंग म सामिल होगे हे. जगह-जगह म छोटे-बड़े इवेंट के संग हरेली म अब पारंपरिक औजार मन के पूजा या गेड़ी चढ़ना ही सामिल नइ रहिगे. बल्कि नाच-गाना भी तिहार म सामिल होगे हे. आधुनिकता के रंग ल देखना हे त वो सोसल मीडिया म होने वाला हरेली फोटो, वीडियो के पोस्ट देखें जा सकत हे.
समय के संग हर तीज-तिहार म पर आधुनिकता के रंग चढ़बे करथे. परंपरा थोड़-बहुत बदलाव आबे करथे. नवा पीढ़ी नवाचार लेके आथे. नवाचार के सुवागत भी होना चाही. फेर आधुनिकता के रंग, बदलत बेरा म हमर तीज-तिहार के पुरखौती परंपरा सदा कायम रहय अउ कभू कोनो सियासी रंग झन चढ़ पावय इही बात के खियाल हम सब ल रखे ल परही.
हरियर रंग हरेली के
संगी-मीत-मितान, सखी-सहेली के
बाँटी-भौंरा, गिल्ली-डंडा
फुगड़ी अउ गेड़ी के
हरियर रंग हरेली के…
हरेली तिहार के तुम सब ल गाड़ा-गाड़ा बधाई… जय जोहार
लेखक – डॉ. वैभव बेमेतरिहा, लल्लूराम डॉट कॉम में राजनीतिक संपादक हैं.