मनोज उपाध्याय, मुरैना। कोरोना की दूसरी लहर से हुई तबाही के बाद सूबे की शिवराज सरकार तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां पूरी किए जाने का दावा करती है। दवा-इंजेक्शन से लेकर ऑक्सीजन और अस्पतालों में बिस्तर की व्यवस्था के दावों के बीच मुरैना के जिला अस्पताल की बदहाली की तस्वीरें सामने आई है। अस्पताल का हाल ऐसा कि यहां एक बिस्तर पर तीन-तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने कोरोना के गाइडलाइन की मियाद बढ़ा दी है। लोगों को मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है। बावजूद मुरैना के जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी हुई है। यहां व्यवस्था की बदहाली ऐसी है कि मरीज क्या डॉक्टर भी एक ही बिस्तर पर कई लोगों का इलाज करने के लिए मजबूर हैं।

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जिला अस्पताल में मेडिकल वार्ड, जनरल वार्ड, महिला वार्ड, सर्जिकल वार्ड से लेकर गैलरियों तक में कुल 300 पलंग हैं। जिला अस्तपताल में भर्ती एक महिला मरीज के पति ने जिला अस्पताल का हाल बताया। राकेश तिवारी अपनी बीमार पत्नी ऊषा तिवारी को 17 अगस्त की रात को लाए थे। महिला वार्ड में भर्ती ऊषा तिवारी की हालत गंभीर थी, बावजूद इसके उन्हें पलंग नहीं मिला, इसलिए दूसरी महिला मरीज के साथ उन्हें भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है।

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अस्पताल के महिला वार्ड में हालात ऐसे हैं कि एक पलंग पर तीन-तीन महिलाएं भर्ती की गई हैं। महिला मरीजों ने बताया कि रातभर एक पलंग पर तीन महिलाएं बैठी रहती हैं, जिसकी वजह से पूरी रात जागकर काटनी पड़ रही है।

अस्पताल के भर्ती वार्ड ही नहीं गैलरियों में भी मरीजाों की ऐसी भीड़ है, मरीजों को जमीन पर बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है। हालात इतने परेशानी भरे हैं कि एक पलंग पर भर्ती दो से तीन मरीजों का इलाज डॉक्टर को करना पड़ रहा है। डॉक्टरों को भी पता है कि अस्पताल में इस तरह मरीजों को भर्ती करना कोरोना जैसी बीमारी को भी बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

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जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. विनोद गुप्ता भी मानते हैं कि इन दिनों मरीज इतनी संख्या में आ रहे हैं, जिनके लिए अस्पताल में पलंग कम पड़ गए हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पलंगों की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग व प्रशासन को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को भर्ती किया जाना जरूरी है उन्हें ही भर्ती कर रहे हैं। मजबूरी है इसलिए एक पलंग पर एक से अधिक मरीज भर्ती हो रहे हैं।

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