सतीश चाण्डक, सुकमा- बस्तर के बीहड़ों में नक्सलियों से लोहा लेने वाले बहादुर जवान रक्षाबंधन के मौके पर अपनी सूनी कलाईयां देखकर मायूस थे. चेहरे की सिकन बताने के लिए काफी थी कि घर से मीलों दूर बहन की राखी कैसे आएगी. ऐसे में दिल में कसक लिए जवान निकल पड़े हर रोज की तरह सर्चिंग के अभियान पर, लेकिन जब सर्चिंग पूरी कर जब जवान लौटे, तो उनकी आंखों में आंसूओं का सैलाब दौड़ पड़ा.

दरअसल ग्रामीण महिलाओं ने देश की सुरक्षा में लगे जवानों की सूनी कलाईय़ों को देखकर उन्हें राखी बांधने की तैयारी कर रखी थी.  जिला मुख्यालय के अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों के लगभग सभी कैम्पों में रक्षाबंधन पर्व बड़े ही धूम-धाम से बनाया गया. ग्रामीण महिलाओं द्वारा राखी बांधें जाने से जवान उत्साह से भर उठे. उन्हें ये महसूस हुआ कि घर से दूर भी भाई की कुशलता की कामना करने वाली बहनें उनके पास ही हैं. ग्रामीण इलाकों की बहनों ने सुरक्षा बलों के जवानों की कलाईयों पर ठीक वैसे ही राखी बांधी, जैसे बहनें बांधती थी. बकायदा जवानों के माथे पर तिलक लगाई गई. आरती उतारी गई. खुशी से लबरेज सुरक्षा बलों के जवानों ने अपनी बहनों को उपहार भी वितरित किया. साथ ही उनकी नक्सलियों से रक्षा करने का वचन भी दिया.

भाजपा महिला मोर्चा द्वारा भी जवानों के हाथो में राखी बांधी गई.  इस दौरान कमाडेंट 2 बटालियन आर.एस शेखावत समेत काफी संख्या में महिलाएं और जवान मौजूद थे.

जनता व जवान दोनों के बीच रिश्ता रहे कायम- शेखावत 

कमाडेंट एम एस शेखावत ने बताया कि सीआरपीएफ हमेशा जनता के बीच मधुर रिश्ते कायम रखने व विश्वास रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित करती रहती है, लेकिन इस बार गांव की महिलाओं ने कैम्प में आकर जवानों के हाथो में रक्षा सूत्र बांधा, तो हमें काफी खुशी हुई और जवानों के उदास चेहरो पर रौनक लौटी है.  सभी ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.  साथ ही उन्होने कहा कि राखी के अवसर पर ही नहीं बल्कि हर दिन हमारे से सहयोग ले सकती है.