सुशील सलाम, कांकेर। आदिवासी समाज के पूर्व जिलाध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की जेल में संदिग्ध मौत को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। 6 दिसंबर को 5 घंटे चक्काजाम के बाद आज आदिवासी समाज और कांग्रेस पार्टी ने संयुक्त रूप से बस्तर बंद का ऐलान किया था, कई जिलों में बंद सफल रहा। दूसरी ओर कांग्रेस की जांच टीम भी आज जीवन ठाकुर के गांव मयाना पहुंची और परिजनों से बातचीत की। वहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी मयाना पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान बघेल ने प्रदेश सरकार और भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए।
भूपेश बघेल ने कहा कि यह तबियत बिगड़ने से मौत नहीं बल्कि हत्या है। जीवन ठाकुर को पहले षड्यंत्र के तहत झूठे मामले में फंसाया गया और फिर जेल में ठीक तरह से खाने पीने तक नहीं दिया गया। साथ ही उनकी तबियत बिगड़ने के बाद इलाज में भी लापरवाही जानबूझ कर की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के इशारे पर जेल में जीवन ठाकुर को प्रताड़ित किया गया। भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।


पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने भी जेल प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जेल में ले जाने के पहले मेडिकल जांच की जाती है। उस दौरान क्या जीवन ठाकुर की बीमारी के बारे में जेल प्रशासन को पता नहीं चला। अगर पता था तो उनके इलाज में लापरवाही आखिर क्यों की गई, इसका जवाब देना होगा।

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
बता दें कि जीवन ठाकुर की 4 दिसंबर को जेल में तबियत बिगड़ने से मौत हुई थी। परिजनों के अनुसार जेल प्रशासन ने उन्हें बिना अवगत करवाए जीवन ठाकुर को कांकेर जेल से रायपुर शिफ्ट कर दिया था और उनकी मौत के कई घंटे बाद तक परिजनों को सूचना नहीं दी गई थी और न ही तबियत बिगड़ने के दौरान किसी तरह की सूचना दी गई थी। मामले को तूल पकड़ता देख शासन ने भी 6 दिसंबर को ही कांकेर जेल की जेलर को हटा दिया था, लेकिन आदिवासी समाज, कांग्रेस पार्टी और जीवन ठाकुर के परिजन दोषियों पर कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी क्रम में आज बस्तर बंद का ऐलान किया गया था। बस्तर के कई जिलों में बंद सफल रहा, जबकि कांकेर में इसका मिला-जुला असर रहा।
जानिए क्या है मामला
बता दें कि जमीन विवाद के मामले में 12 अक्टूबर 2025 को कांग्रेस नेता और चारामा के पूर्व जनपद अध्यक्ष जीवन ठाकुर को गिरफ्तार कर कांकेर जेल में रखा गया था। उन्हें 2 दिसंबर को बिना सूचना के रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया था। जेल प्रशासन के अनुसार, इसी बीच उनकी तबीयत खराब होने से तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 4 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। वहीं अब मामले में परिजनों ने जेल प्रशासन पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। सही समय पर इलाज होता तो उनकी जान बच जाती।
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