एंटी करप्शन ब्यूरो ने आम आदमी पार्टी(AAP) के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन(Satyendra Jain) और सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इन दोनों नेताओं पर अस्पताल निर्माण कार्य में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है. उपराज्यपाल द्वारा दो दिन पहले ACB को जांच के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद बीजेपी नेता और विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता(Vijendra Gupta) की शिकायत पर यह जांच शुरू हुई. वर्ष 2018-19 में दिल्ली सरकार ने 24 अस्पताल परियोजनाओं के लिए 5,590 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, जिसमें 11 नए अस्पताल और 13 पुराने अस्पतालों का विस्तार शामिल था. हालांकि, ये सभी परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पाईं और उनकी लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई, जिससे वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के संकेत मिले.

दिल्ली में 1 जुलाई से 15 साल पुरानी गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, जानिए 200 टीमें पेट्रोल पंपों पर कैसे करेंगी निगरानी

जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और आईसीयू के निर्माण में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं, जिसमें बिना अनुमति के निर्माण और फंड का दुरुपयोग शामिल है. कई अस्पतालों के निर्माण पर सैकड़ों करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ, लेकिन कोई भी परियोजना समय पर पूरी नहीं हो सकी. यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत मंजूरी मिलने के बाद दर्ज किया गया है.

किस आधार पर शुरू हुई जांच

22 अगस्त 2024 को विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विभिन्न प्रोजेक्ट्स में बजट में हेरफेर, फंड का दुरुपयोग और ठेकेदारों के साथ मिलीभगत की गई है. आईसीयू अस्पताल प्रोजेक्ट के तहत 6,800 बेड्स वाले 7 अस्पतालों के लिए 1,125 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था. हालांकि, 800 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद केवल 50% कार्य ही पूरा हुआ है, जबकि इस प्रोजेक्ट को 6 महीने में समाप्त होना था.

रेखा सरकार ने अस्पतालों को लेकर लिया बड़ा फैसला, 11 सरकारी अस्पतालों को PPP मॉडल पर चलाने की तैयारी

ज्वालापुरी और मादीपुर के अस्पतालों में बिना अनुमति के अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया है. मादीपुर अस्पताल का निर्माण नवंबर 2022 तक पूरा होना था, लेकिन यह आज भी अधूरा और बंद पड़ा है. आईसीयू के निर्माण का ठेका SAM India Buildwell Pvt Ltd को दिया गया था, जिसमें लागत 100% से अधिक बढ़ गई है, फिर भी कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

    LNJP अस्पताल के नए ब्लॉक का ठेका स्वदेशी सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था, जिसकी लागत 488 करोड़ से बढ़कर 1,135 करोड़ हो गई है, लेकिन निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है. पॉलीक्लिनिक परियोजना के तहत 94 में से केवल 52 क्लिनिक ही बन पाए हैं, और उनकी लागत 168 करोड़ से बढ़कर 220 करोड़ हो गई है. कई क्लिनिक अब भी कार्यशील नहीं हैं. वर्ष 2016-17 में घोषित Health Information Management System (HIMS) अब तक लागू नहीं की गई है, जबकि एनआईसी का मुफ्त और सस्ता ई-हॉस्पिटल सॉफ़्टवेयर बिना किसी कारण के अस्वीकृत कर दिया गया है.

‘बेटे-बहू को छोड़ना होगा घर’, दिल्ली हाई कोर्ट का 81 वर्षीय बुजुर्ग की याचिका पर बड़ा फैसला

जांच में क्या पाया गया?

नियमों का उल्लंघन, गलत टेंडर प्रक्रिया, जानबूझकर देरी, और सरकारी धन की बर्बादी के गंभीर मुद्दे सामने आए हैं. बजट को बढ़ाकर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई, जबकि सस्ते विकल्पों की अनदेखी की गई. इसके परिणामस्वरूप, बिना उपयोग की संपत्तियां खड़ी हो गईं, जो संसाधनों की बर्बादी का संकेत हैं.

आरोपों पर ACB की क्या कार्रवाई हुई?

ACB ने जांच के बाद पूर्व मंत्रियों के खिलाफ 17A के तहत अनुमति प्राप्त की, जिसके बाद 26 जून 2025 को FIR नंबर 37/2025 दर्ज की गई. यह मामला भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13(1) और IPC की धाराओं 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120B (षड्यंत्र) के तहत दर्ज किया गया है. इस मामले में पूर्व मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका की गहन जांच की जा रही है.