भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दावा किया है। ट्रंप ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल खरीदना बंद करेगा। हालांकि, इस बयान पर अब तक भारत सरकार या प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत लगातार कहता रहा है कि उसे ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को देखते हुए किसी भी देश से तेल खरीदने का अधिकार है।
एक समाचार एजेंसी द्वारा पूछे गए सवाल “क्या वे भारत को एक विश्वसनीय साझेदार मानते हैं?”के जवाब में ट्रंप ने कहा, “हां, जरूर। वे (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) मेरे मित्र हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं… मैं इस बात से खुश नहीं था कि भारत तेल खरीद रहा है और उन्होंने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे…”
ट्रंप ने आगे कहा कि, “हम चाहते हैं कि चीन भी ऐसा ही करे।” गौरतलब है कि भारत और चीन, दोनों ही रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल हैं। इससे पहले ट्रंप ने जी7 देशों से अपील की थी कि वे रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाएं। इसी क्रम में अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है।
भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए किसी भी देश से तेल खरीदने का अधिकार है और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ की आलोचना को वह अनुचित मानता है। ट्रंप प्रशासन के भारत को लेकर रुख में पहले भी तल्खी देखी गई है। ट्रंप भारत की अर्थव्यवस्था को कभी “मरी हुई” (Dead) कह चुके हैं, जबकि उनके पूर्व सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को “मुनाफाखोर” (Profiteer) बताया था।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी अधिकारी ने हाल ही में दावा किया था कि भारत ऊर्जा खरीद में विविधता लाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा था, “भारत हमेशा से रूस से इतना तेल नहीं खरीदता आया है। रूस के साथ उनके मजबूत संबंध रहे हैं, लेकिन पिछले दो या तीन वर्षों में उन्होंने न केवल उपभोग के लिए बल्कि शोधन और पुनर्विक्रय के लिए भी छूट पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया है।”
ग्रीर ने आगे कहा,
“तो ऐसा नहीं है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का कोई आधारभूत हिस्सा है। हमारा मानना है कि वे ऐसा कर सकते हैं और उन्हें ऐसा करना चाहिए। सच कहूं तो, मैं देख सकता हूं कि वे अभी से विविधीकरण की शुरुआत कर रहे हैं। मुझे लगता है कि वे इसे समझ रहे हैं। जाहिर तौर पर वे (भारत) एक संप्रभु देश हैं और अपने फैसले खुद लेंगे।” ट्रंप के प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम दूसरे देशों को यह निर्देश नहीं दे रहे हैं कि वे किसके साथ संबंध रख सकते हैं और किसके साथ नहीं। हम ऐसा करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।’
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